स्वास्थ्य सेवाओं में हर स्तर पर निभाएं जिम्मेवारी
शेखपुरा : जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों तक चलायी जा रही स्वास्थ्य योजनाओं में गुणवत्ता के साथ-साथ आम जागरूकता के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को नयी जिम्मेवारी दी गयी. समाहरणालय सभा कक्ष में सोमवार को जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने जिला स्वास्थ्य समिति की योजनाओं की समीक्षा किया. इस मौके पर सिविल […]
शेखपुरा : जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों तक चलायी जा रही स्वास्थ्य योजनाओं में गुणवत्ता के साथ-साथ आम जागरूकता के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को नयी जिम्मेवारी दी गयी. समाहरणालय सभा कक्ष में सोमवार को जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने जिला स्वास्थ्य समिति की योजनाओं की समीक्षा किया.
इस मौके पर सिविल सजर्न विजय कुमार सिन्हा, डीपीएम निर्मल कुमार,एसीएमओ, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ मृगेंद्र प्रसाद सिंह, चिकित्सा प्रभारी डॉ अशोक कुमार समेत अन्य लोग मौजूद थे. बैठक में समीक्षा के दौरान जिले में टीकाकरण अभियान की कमजोर स्थिति को बेहतर बनाने का निर्देश दिया गया.
इसके साथ ही शहर से लेकर पीएचसी एवं आंगनबाड़ी तक अपना पहुंच बना कर स्वस्थ शरीर के लिए समुचित आहार एवं स्वच्छता के लिए आम जागरूकता लाने पर बल दिया गया. इसके लिए सभी सुपरवाइजर, चिकित्सक एवं वरीय अधिकारियों को जमीनी संपर्क स्थापित कर इन जिम्मेवारियों को निष्ठा पूर्वक निर्वहन करने का निर्देश दिया. समीक्षा के दौरान जिले में प्रतिमाह होने वाले लगभग 1100 प्रसव में से 60 प्रतिशत प्रसूती के शरीर में जरूरत से काफी कम खून रहने एवं 50 प्रतिशत नवजात का दो किलो से भी प्रसव के दौरान कम वजन होने के आंकड़ों को जिलाधिकारी ने गंभीर बताया. इसके लिए जन चेतना के साथ-साथ गर्भवती माताओं को समुचित चिकित्सकीय लाभ दिलाने के लिए बैठक में आवश्यक निर्देश दिया गया.
समय पर नहीं पहुंच सके चिकित्सक
शेखपुरा : जिले में चिकित्सा सेवा के प्रति जहां अपनी निष्ठा और मानवीय पहलू से कभी पीछे नहीं भागते. वहीं कुछ ऐसे भी चिकित्सक है जो ड्यूटी में तय समय सारणी की कोई परवाह नहीं करते. सोमवार को समाहरणालय सभा कक्ष में जिलाधिकारी स्वास्थ्य की समीक्षा बैठक कर रहे थे.
अपनी लापरवाही की आदतों से मजबूर कुछ चिकित्सक डीएम की बैठक में भी विलंब से पहुंच सके. देर से पहुंचने वाले एक चिकित्सक पर पहले भी सदर अस्पताल में करीब 45 मिनट देर से पहुंचने के कारण एक मरीज के समुचित उपचार के अभाव में मौत होने का आरोप लग चुका है. वैसे लापरवाही चिकित्सक डीएम की बैठक में भी देर से पहुंचने में बाज नहीं आते.