आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं
शेखपुरा : भारत स्वाभिमान समिति जिला इकाई की बैठक आयोजित की गयी. बैठक में जिला के दर्जनों सदस्यों ने भाग लिया. बैठक के दौरान पाकिस्तान के पेशावर शहर के स्कूल में तालिबानी आतंकियों द्वारा मारे गये छात्रों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. मौके पर समिति के जिलाध्यक्ष लखन प्रसाद ने कहा कि आतंकियों की […]
शेखपुरा : भारत स्वाभिमान समिति जिला इकाई की बैठक आयोजित की गयी. बैठक में जिला के दर्जनों सदस्यों ने भाग लिया. बैठक के दौरान पाकिस्तान के पेशावर शहर के स्कूल में तालिबानी आतंकियों द्वारा मारे गये छात्रों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.
मौके पर समिति के जिलाध्यक्ष लखन प्रसाद ने कहा कि आतंकियों की इस दरिंदगी पूर्ण कार्रवाई से पूरा विश्व स्तब्ध है. उन्होंने इस घटना को 21 वीं शताब्दी के सबसे बड़ा आतंकवादी हमला बताया. उन्होंने विश्व समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने को कहा. समिति के सदस्यों ने कहा कि बच्चों को मौत के घाट उतार कर वे किस तरह के खौफ कायम करना चाहते हैं.
वक्ताओं ने कहा कि पहली बार इतने बड़े हिंसा से बच्चे शिकार बने हैं. यह मानवता के सबसे काले दिनों में से एक हैं. जिन लोगों ने आज अपने बच्चों को खो दिया, हम उनके दुख में साथ हैं. समिति के सदस्यों ने इस कायरता पूर्ण हमले की कड़ी निंदा की और मरने वाले भाई-बहनों के प्रति संवेदना प्रकट की है. बैठक में संजय वर्णवाल,रंजीत कुमार,नरेश प्रसाद,अनिरुद्ध प्रसाद,भगवान दास समेत कई लोग उपस्थित थे.
पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में बर्बर आतंकी हमला में मारे गये छात्रों के प्रति संवेदना प्रकट करने का दौर जारी है. अखिल भारतीय सामाजिक न्याय व धर्मनिरपेक्ष मंच ने 16 दिसंबर 2014 को मानव सभ्यता के इतिहास में ब्लैक डे के रूप में इसे दर्ज होने की संज्ञा दी है. इस भीषण आतंकी चुनौती को सभ्य कहे जाने वाले मानवीय सभ्यता के लिए विचाराधीन क्षण के साथ-साथ आतंकवाद के खिलाफ अंतिम युद्ध छेड़ने का अवसर आ गया है.
संघ के महासचिव दुर्गा प्रसाद धर ने बताया कि पूरे विश्व के जनमानस को अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति जबरदस्त जन दबाव बनाने की आवश्यकता है. दुनिया को कोई भी धर्म हिंसा की इजाजत नहीं देता. राष्ट्र के नेतृत्व से यह आशा की जानी चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ ऐसी नीति का निर्धारण कर कार्य करें कि कोई भी व्यक्ति या समूह पेशावर जैसी घटना को अंजाम देने के बारे में सोच भी नहीं सके.