72 घंटे में स्थापित हो जाती हैं शराब की भट्ठियां
* सैकड़ों परिवारों ने इसे जीविका के रूप में अपनाया शेखपुरा : सदर प्रखंड के मुरारपुर गांव के टाटी नदी के किनारे लगभग दो किमी लंबी दूरी में अपना पांव पसारे दर्जनों कारोबारी पर एक तरफ जहां जिला प्रशासन अपनी कड़ी कार्रवाई के लिए अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कारोबारी 72 घंटों के […]
* सैकड़ों परिवारों ने इसे जीविका के रूप में अपनाया
शेखपुरा : सदर प्रखंड के मुरारपुर गांव के टाटी नदी के किनारे लगभग दो किमी लंबी दूरी में अपना पांव पसारे दर्जनों कारोबारी पर एक तरफ जहां जिला प्रशासन अपनी कड़ी कार्रवाई के लिए अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कारोबारी 72 घंटों के अंतराल में ही अपने कारोबार को पुन: स्थापित कर लेते हैं. इस चूहे–बिल्ली के खेल में कुल मिला कर अवैध कारोबारी ही अपना कारोबार जारी रखने में कामयाब होते है.
* पुन: स्थापित कर लेते हैं कारोबारी
सदर प्रखंड का मुरारपुर गांव में पिछले कई दशकों से अपना साम्राज्य कायम करने वाले दर्जनों अवैध शराब कारोबारियों से निपटने के लिए कई एसपी के नेतृत्व में अभियान चलाया गया, परंतु दुर्भाग्य पूर्ण बात यह है कि लगातार कार्रवाई किये जाने के बाद भी 72 घंटे के अंदर ही पुन: अपना कारोबार स्थापित कर लेते है.
* हो रहा जानलेवा खेल
अवैध शराब निर्माण के दौरान कम लागत से अधिक नशीला शराब बनाने के लिए यूरिया, ऑक्सीटोक्सिन एवं यदा–कदा सलफास का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो मानव शरीर के लिए पूरी तरह जानलेवा साबित हो रहा है.
* बड़ा है कारोबार
जिले में अवैध शराब निर्माण के कारोबार पर अगर नजर डाले तब मुरार गांव सबसे बड़े बाजारों में मजबूत पैठ रखता है. शेखपुरा के जमालपुर एकसारी, कारे, समेत नालंदा एवं लखीसराय के कई बाजारों में अवैध शराब की आपूर्ति करता है. जिला प्रशासन के लिए मुरार गांव के इन अवैध कारोबारियों के द्वारा प्रतिदिन लगभग हजार लीटर की चुलाइ बड़ी चुनौती बना है.
* अभियान से मिलेगी निजात
जिले में अवैध शराब निर्माण के कारोबार में कारोबारियों पर अगर लगातार अभियान चलाया गया तब शायद दशकों से जारी इस चुनौती से जिला प्रशासन को निजाद दिलाने में कामयाबी मिल सकती है. इस कामयाबी के लिए एक तरफ जहां शराब निर्माण के अड्डों पर छापेमारी की जा रही है. वहीं दूसरी ओर बिकने वाले स्थानों पर भी छापेमारी करनी होगी.