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क्षेत्र में फिर से सुखाड़ की आशंका,किसान परेशान

* कृषक मजदूरों के पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं बरबीघा (शेखपुरा) : विगत चार पांच वर्षों से मॉनसून द्वारा की जा रही दगाबाजी ने क्षेत्रीय किसानों को फिर से सुखाड़ की आशंका से त्रस्त कर दिया है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा दो दिन पूर्व सूखाग्रस्त जिलों की जारी सूची में इस जिले के […]

* कृषक मजदूरों के पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं

बरबीघा (शेखपुरा) : विगत चार पांच वर्षों से मॉनसून द्वारा की जा रही दगाबाजी ने क्षेत्रीय किसानों को फिर से सुखाड़ की आशंका से त्रस्त कर दिया है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा दो दिन पूर्व सूखाग्रस्त जिलों की जारी सूची में इस जिले के नाम को भी स्थान दिया गया है.

क्षेत्र में मॉनसून की इस बेवफाई के शिकार किसानों में इन घोषणाओं के बावजूद तंत्र की कार्यशैली से भी गहरा विक्षोभ है, पर विक्षोभ की इस घड़ी में भी इन किसानों के पास भगवान और सरकार के अतिरिक्त अन्य कोई से आसार नजर नहीं रहे हे.

दर्जन भर किसानों ने बताया कि राज्य सरकार भले ही सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर पीड़ित एवं प्रभावित किसानों के लिए विभिन्न सुविधाओं का अखबार के माध्यम से प्रचारप्रसार कर देते है पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता है.

* सचिव पर लगाया आरोप

सूखाग्रस्त किसानों ने राज्य सरकार के द्वारा भेजी गयी योजना राशि की बंदरबांट के लिए पंचायत सचिव से लेकर कृषि पदाधिकारी तक फैले भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए अपनी पीड़ा को भावुक रूप से सुनाया गया. नरसिंह पुर के अनिल सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, शंभु सिंह, दिवाकर सिंह, अरविंद सिंह, नरेश सिंह तथा रामपुर सिंडाय गांव के उमेश पासवान, अजय सिंह, संजय सिंह, उकसी के रामकिशुन यादव, विरू यादव आदि किसानों ने सिंचाई, उर्वरक कीट, श्री विधि धान बीज वितरण आदि में मनमानी का हवाला देकर विभाग को जम कर कोसा.

* मसूरी के बाद हाइब्रिड पर भी आफत

जारी वर्ष में मॉनसून के अभाव में मसुरी धान के बिचड़ों के रोपाई के पूर्व ही बदतर स्थिति में पहुंच जाने के बाद भी पर्याप्त वर्षा के संकेत नहीं मिलने के कारण किसानों में गहरी निराशा है. वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया कि देर मॉनसून में बोयी जाने वाली हाइब्रिड नस्ल की बीज के लिए भी अपर्याप्त वर्षा के कारण इस वर्ष भयंकर सुखाड़ की आशंका है.

* कर रहे हैं पलायन

चार पांच वर्षो से जारी मॉनसून की बेवफाई के फलस्वरूप परिवार का पेट भरने के लिए कृषक मजदूरों का सैकड़ों की तादाद में लगभग हर पंचायत में पलायन शुरू हो गया है. दलित नेता अशरफी मांझी ने बताया कि दैनिक मजदूरी एवं खेतिहर मजदूरी कर पेट पालनेवाले इन मेहनती किसानों के पास मनरेगा के भरोसे भी पूरा काम नहीं चल पाता है.

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