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पानी नहीं जहर पी रही आबादी
जिले के छह हजार जल स्नेतों में से 268 फ्लोराइड से दूषित शेखपुरा : जिले में फ्लोराइड नामक रसायन का जलस्नेतों में अधिक मात्र होने से आज लाखों की आबादी का जीवन भगवान भरोसे हैं. दूषित पानी से निजात दिला कर लोगों को शुद्ध पानी पिलाने की दिशा सरकार ने भले ही करोड़ों की योजनाओं […]
जिले के छह हजार जल स्नेतों में से 268 फ्लोराइड से दूषित
शेखपुरा : जिले में फ्लोराइड नामक रसायन का जलस्नेतों में अधिक मात्र होने से आज लाखों की आबादी का जीवन भगवान भरोसे हैं. दूषित पानी से निजात दिला कर लोगों को शुद्ध पानी पिलाने की दिशा सरकार ने भले ही करोड़ों की योजनाओं का क्रियान्वयन किया, परंतु आज स्थिति यह है कि रखरखाव के अभाव में अधिकांश ट्रीटमेंट प्लांट और जलापूर्ति योजनाएं ठप है.
ऐसे हालात में लोग एक बार फिर फ्लोराइड रसायन दूषित पानी पीकर अपनी जिंदगी बरबाद करने को विवश हैं. जलापूर्ति में फ्लोराइड के हालात पर अगर नजर डालें तब 0.5 से 1.5 पीपीएम की मात्र सामान्य मानी जाती है. परंतु यहां चोढ़ दरगाह पंचायत का कोयंदा गांव स्थित वजीर महतो का चापाकल है, जहां सर्वाधिक 7.1 पीपीएम फ्लोराइड की मात्र पायी गयी है. जबकि अन्य प्रखंड और गांव में 05 पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्र पायी गयी है.
फ्लोराइड से निबटने के लिए सरकारी दावों पर अगर नजर डालें तब इस रसायन से उत्पन्न फ्लोरेसिस नामक खतरनाक बीमारी से लगभग 125 लोग पूरी तरह विकलांग है. चोढ़ दरगाह गांव में इस बीमारी ने जहां कई लोगों को अपंग बना दिया है तो कुछ लोगों की जानें भी जा चुकी है. जिले के छह प्रखंडों में घाट कोसुम्भा को छोड़ कर अन्य पांच प्रखंडों में इस रसायन का कुप्रभाव है. परंतु करीब पांच साल पूर्व चापाकलों में लगाये गये ट्रीटमेंट प्लांट जलापूर्ति योजनाएं भी सालों से ठप है.
पांच साल में छह हजार जल स्नेतों का सर्वे
जिले में दूषित पेयजल से मुक्ति के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण की सक्रियता पर आज सवालिया निशान खड़े किये जा रहे हैं. सरकारी आंकड़ों की मानें तब प्रति माह जिले भर में कम से कम 150 जल श्रोतों के पानी की जांच की जानी है. इसके मुताबिक छह साल में 21 हजार से अधिक जलस्नेतों की जांच होनी थी. परंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि पिछले पांच-छह सालों में मात्र 06 हजार जल स्नेतों की ही जांच हो सकी है. अगर जिले भर के जल स्नेतों की जांच हो तब प्रदूषित जल का सही आकलन किया जा सकता है.
मैन पावर की दुहाई
यूं तो जिले में फ्लोरसिस के प्रति लोगों में जागरूकता से लेकर उपचार की सेवा स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी अहम है. परंतु सबसे बड़ी बात है कि फ्लोराइड से दूषित जल स्नेतों को चिन्हत कर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण की भी अहम भूमिका रही है. खास बात यह है कि जल जांच केंद्र भी मैन पावर की कमी की दुहाई दे रहा है. विभाग की मानें तब रसायनिज्ञ और अनुसेवक मिला कर कुल दो कर्मी ही तैनात है. जबकि आवश्यकता पांच की है.
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