16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्ट्रेचर तक की जीआरपी थानों में व्यवस्था नहीं,जानकारी के बावजूद विभाग बेखबर

शेखपुरा : किऊल-गया रेलखंड स्थित शेखपुरा रेलवे स्टेशन पर एक अज्ञात शव को पोल में टांगने के मामले में पुलिस की संवेदनहीनता पर भले ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं. परंतु इसके पीछे एक बड़ी सच्चई यह भी है कि रेल हादसे के बाद शव को लेकर कानूनी प्रक्रिया अपनाने के लिए जीआरपी थाने […]

शेखपुरा : किऊल-गया रेलखंड स्थित शेखपुरा रेलवे स्टेशन पर एक अज्ञात शव को पोल में टांगने के मामले में पुलिस की संवेदनहीनता पर भले ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं. परंतु इसके पीछे एक बड़ी सच्चई यह भी है कि रेल हादसे के बाद शव को लेकर कानूनी प्रक्रिया अपनाने के लिए जीआरपी थाने में एक स्ट्रेचर का भी प्रावधान नहीं है. ऐसी व्यवस्था के बावजूद रेल हादसे में प्रति वर्ष दर्जनों मौतों के बाद क्षति-विक्षत लाशों का निष्पादन किस प्रकार किया जाता है. इस सवाल का जवाब चुनौती भरा है.

संसाधनों के घोर अभाव के बीच शवों का निष्पादन करने में जीआरपी पुलिस आर्थिक क्षति, सामाजिक असहयोग एवं अक्सर विरोध का भी सामना करना पड़ता है. जीआरपी पुलिस के आलाधिकारियों की मानें तब जीआरपी थानों में शवगृह पोस्टमार्टम से लेकर अन्य जरूरी संसाधनों के लिए रेलवे को कई बार पत्रचार किया जाता रहा है, परंतु रेल सुरक्षा में इस बड़ी जरूरत को आज तक नजर अंदाज किया जाता रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि अगर इन जरूरी व्यवस्थाओं पर अलग नहीं तो इससे जुड़ी जिम्मेवारियां किस पर और कैसे तय किया जा सकता है.

क्या है जिम्मेवारी

रेल हादसे में अगर किसी अज्ञात व्यक्ति की मौत हो जाय तब उस शव को 72 घंटे तक सुरक्षित रखने का प्रावधान है. इसके बाद ही उस शव को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया अपना कर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. विभागीय अधिकारियों की मानें तब जमालपुर जोन के किऊल,गया,नवादा एवं झाझा तक के रेलवे स्टेशनों में भी शवगृह की व्यवस्था नहीं है. नवादा में पोस्टमार्टम के बाद शव को भगवान भरोसे ही सुरक्षा कर्मी अंतिम संस्कार को लेकर जाते हैं. इन उपेक्षित व्यवस्था में जो सबसे अहम बात है वह यह कि शव को घटनास्थल से उठाने के बाद पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार तक रेल पुलिस को मात्र एक हजार रुपये का ही प्रावधान है.

क्या है संसाधन

क्यूल-गया रेलखंड के शेखपुरा रेलवे स्टेशन पर जीआरपी पुलिस की तैनाती स्थल पर अगर नजर डाले तब थानाध्यक्ष से लेकर सिपाही तक सभी यात्राी विश्रमालय भवन में ही पिछले कई दशकों से अपना डेरा डाल कर ड्यूटी करते है. ऐसे में हादसा तो दूर अगर मौसम का तेवर बिगड़ जाये तो सुरक्षा कर्मी किसी प्रकार अपना गुजारा कर लेते हैं. पिछले कई दशकों से उपेक्षा का दंश ङोल रहे सुरक्षा कर्मी अपनी पोस्टिंग को एक सजा से कम नहीं मानते है.

सामाजिक संस्थानों से अपील

रविवार को मामले की जांच करने पहुंचे किऊल के रेल डीएसपी अरूण कुमार दूबे ने कहा कि शवों के निष्पादन के लिए रोटरी क्लब, रेडक्रॉस सोसाइटी समेत अन्य सामाजिक संस्थान अपना योगदान दे सकती है.

उन्होंने कहा कि जीआरपी पुलिस को अगर कुछ स्ट्रेचर और आइस बॉक्स भी मिल जाये तब बड़ा सहयोग हो सकता है. उन्होंने डीएम प्रणव कुमार से भी अपील करते हुए कहा कि जीआरपी थाना के समक्ष शव रखने की समुचित व्यवस्था के स्थानीय स्तर पर पहल की जानी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें