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दवाओं की किल्लत से मरीजो की बढ़ी परेशानी

शेखपुरा : जिले में बदतर हालातों से गुजर रहे स्वास्थ्य महकमा आज किस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है. इसके लिए गहन समीक्षा की जरूरत पड़ेगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में कभी राज्य स्तर पर अव्वल रहनेवाला जिला आज अल्ट्रासाउंड, एक्सरे व एंबुलेंस सेवा के साथ-साथ दवाओं की भी घोर कमी से जूझ रहा है. * […]

शेखपुरा : जिले में बदतर हालातों से गुजर रहे स्वास्थ्य महकमा आज किस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है. इसके लिए गहन समीक्षा की जरूरत पड़ेगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में कभी राज्य स्तर पर अव्वल रहनेवाला जिला आज अल्ट्रासाउंड, एक्सरे व एंबुलेंस सेवा के साथ-साथ दवाओं की भी घोर कमी से जूझ रहा है.

* 33 में 20 दवाएं
जिले में सदर अस्पताल समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में आउटडोर उपचार व्यवस्था के लिए कुल 33 में मात्र 20 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध है. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि पिछले माह में, तो स्लाइन की बोतल तक की व्यवस्था नहीं थी.

आज भी दवाओं के अभाव में बच्चों के एंटीबायोटिक दवाइयां बड़ों को दी जा रही है, जबकि बच्चों की अधिकांश दवाइयां समाप्ति के कगार पर है. चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों की मानें, तो 31 मार्च, 2013 को स्वास्थ्य विभाग का दवा मद में लगभग 50 लाख रुपये लैप्स कर गय.

वहीं पिछले कई माह से विभाग में जारी आपसी मतभेद के कारण उत्पन्न स्थिति में जहां मरीजों को आवश्यक दवाएं भी नहीं मिली, वहीं गरीब मरीज महाजनी कर्ज लेकर बाहरी दुकानों से प्राण रक्षक दवाएं खरीद कर कर्ज की बोझ से दबते गये.

* एंटी रेबिज का इंजेक्शन नहीं
जिले में कुत्ता काटने पर मरीजों के उपचार के लिए एंटी रेबिज इंजेक्शन सदर अस्पताल में पिछले 20 दिनों से समाप्त है. अस्पताल में उक्त कीमती दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण सबसे अधिक निर्धन परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खुले बाजार में उन्हें प्रति इंजेक्शन तीन सौ रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.

* कब सुधरेंगे हालात
जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था के बदतर हालात से लोग अब निजात चाहते है, परंतु इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. स्वास्थ्य व्यवस्था में लगातार संसाधनों की हो रही कमी के लिए जिम्मेवार लोगों पर ना तो कार्रवाई की जा रही है और ना ही हालातों में सुधार आ रहा है. इस व्यवस्था से जिले वासियों को सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से भरोसा उठने लगा है.

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