चावल नहीं पहुंचाने वाले 15 मिलरों पर केस दर्ज

वित्तीय वर्ष में की गयी गड़बड़ी को लेकर कार्रवाई होगी शेखपुरा : किसानों से लिये गये धान का चावल तैयार कर नहीं पहुंचाने वाले जिला के 15 मिलरों पर 7 करोड़ से ज्यादा की राशि वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया था. परंतु एक माह पूर्व दर्ज सर्टिफिकेट केस के बाद भी किसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2015 10:56 AM
वित्तीय वर्ष में की गयी गड़बड़ी को लेकर कार्रवाई होगी
शेखपुरा : किसानों से लिये गये धान का चावल तैयार कर नहीं पहुंचाने वाले जिला के 15 मिलरों पर 7 करोड़ से ज्यादा की राशि वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया था. परंतु एक माह पूर्व दर्ज सर्टिफिकेट केस के बाद भी किसी भी चावल मिल मालिक ने राशि जमा करने की आवश्यकता नहीं समझी.
इन सभी राइस मिलरों को सर्टिफिकेट केस के तहत नोटिस जारी किया गया था. गौरतलब है कि राइस मिलरों पर यह बकाया राशि वित्तीय वर्ष 2011-12, 2012-13 तथा 2013-14 की है. इस बीच कई मिल मालिकों ने पुराने डिफॉल्टर राइस मिल के स्थान पर नये राइस मिल खोल कर पुन: उसी खेल में जुट गये हैं. कई चावल मिल मालिकों को कई वित्तीय वर्ष में किये गये गड़बड़ी को लेकर कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है. बताया जाता है कि कई स्तर पर अधिकारियों के सांठ-गांठ से यह खेल यहां वर्षो से खेला जा रहा है.
इस गड़बड़ मामले में कभी भी किसी अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं किये जाने से इन अधिकारी के साथ-साथ डिफॉल्टर राइस मिल मालिकों के भी हौसले काफी बुलंद हैं. राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि राज्य खाद्य निगम द्वारा चावल मिल मालिकों के साथ अनुबंध कर किसानों से ली गयी धान का चावल तैयार करने दिया जाता है. अनुबंध के अनुसार तैयार चावल मिलरों को भारतीय खाद्य निगम के गोदाम तक पहुंचाना होता है. उन्होंने बताया कि अनुबंध का उल्लंघन करने वाले इन चावल मिल मालिकों का बैंक डिपोजिट जब्त कर लिया गया है.
साथ ही, इन्हें काली सूची में डाल दिया गया है. ये सभी डिफॉल्टर राइस मिल आगे से सरकारी अनुबंध के तहत चावल तैयार नहीं कर सकेंगे. चावल मिल मालिकों को चावल जमा करने का पूरा अवसर दिया गया. उन्हें चावल के मात्र के अनुकूल राशि जमा करने का भी विकल्प दिया गया था. उन्होंने चावल मिल मालिकों के नाम बताते हुए कहा कि अब पुलिस की मदद से राशि वसूली की जायेगी.

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