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संस्थागत प्रसव में भी चल रहा सौदेबाजी का खेल

सदर अस्पताल में मरीजों के साथ हो रही अनदेखी शेखपुरा : जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए एक ओर जहां सरकार ने कई स्तर पर योजनाओं को धरातल पर उतार रखी है. लेकिन इस व्यवस्था के साथ सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सरकार की विशेष मुहिम का अंग माने जाने वाले […]

सदर अस्पताल में मरीजों के साथ हो रही अनदेखी
शेखपुरा : जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए एक ओर जहां सरकार ने कई स्तर पर योजनाओं को धरातल पर उतार रखी है. लेकिन इस व्यवस्था के साथ सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सरकार की विशेष मुहिम का अंग माने जाने वाले कर्मी आज मरीजों का शोषण करने पर तुला है.
सदर अस्पताल में मरीजों के आर्थिक दोहन के लिए तरह-तरह के खेल-खेले जा रहे हैं. मरीजों के साथ आर्थिक दोहन के इस खेल से ऐसा नहीं कि स्वास्थ्य अधिकारी अनभिज्ञ है. परंतु सब कुछ जानने के बाद भी अस्पताल में मरीजों के साथ आर्थिक दोहन की हर रोज नयी घटनाएं घट रही है. दो दिन पूर्व एकसारी गांव निवासी रामप्रसाद मांझी की विवाहिता रीना देवी को सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव के लिए भरती कराया गया था.
उक्त प्रसव के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ी. तभी अस्पताल में दवा की कमी के कारण कंपाउंडर और आशा कर्मी ने बाहरी दुकान से दवा खरीद कर ऑपेरशन से प्रसव कराया गया. इसके बाद पीड़ित परिवार से दवा के नाम पर तीन हजार रुपये की मांग की जाने लगी. इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब बिना दवाई के परचे के ही आशा कर्मी दवा के लिए तीन हजार रुपये की मांग करने लगी.
सदर अस्पताल में अगर दवाओं की उपलब्धता पर अगर नजर डालें तब यहां आउटडोर सेवा के लिए 33 दवाएं रहनी चाहिए मगर यहां 23 दवाएं उपलब्ध हैं. इसी प्रकार इंडोर में 111 प्रकार की दवा और अन्य चिकित्सा सामग्री रहनी चाहिए, जिसमें से मात्र 64 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. संस्थागत सामान्य प्रसव के लिए मुख्यत: ऑक्सीटोसिन और फिर्जाप्रोस्ट दवा एवं मिकरिल की आवश्यकता होती है. जो पिछले कई माह से अस्पताल में उपलब्ध नहीं है.
क्या कहते हैं अधिकारी :
‘‘अस्पताल में दवा की कमी तो हैं, परंतु ऐसा नहीं कि संस्थागत प्रसव में ऑपरेशन के लिए तीन हजार रुपये की आवश्यकता पड़ेगी. संस्थागत प्रसव में ऑपरेशन के लिए एक से डेढ़ हजार रुपये की ही दवा काफी है. ऐसे अगर बिना पुरजा दिखाये मरीज से तीन हजार रुपये की मांग की गयी है तब वह संदेहास्पद है.’’
डॉ मृगेंद्र प्रसाद,उपाधीक्षक,सदर अस्पताल शेखपुरा
क्या कहते हैं सिविल सजर्न :
‘‘ सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव में दवाओं की कमी को रोगी कल्याण समिति से पूरी की जायेगी. इसके साथ ही अगर संस्थागत प्रसव में अगर बाहरी दवाओं के लिए मरीज से सदर अस्पताल कर्मी ने राशि की मांग की है. तब यह गंभीर मसला है. जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.’’
विजय कुमार, सिविल सजर्न, शेखपुरा

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