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श्रमदान से शुरू किया सड़क निर्माण

शेखपुरा : नगर क्षेत्र के सटे लक्षणा गांव के लोगों ने श्रमदान से सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया. नेताओं के झूठे वादों से आजिज ग्रामीणों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का भी एलान कर दिया है. माउंटेन मैन की जैसी इच्छा शक्ति के साथ सड़क निर्माण को लेकर […]

शेखपुरा : नगर क्षेत्र के सटे लक्षणा गांव के लोगों ने श्रमदान से सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया. नेताओं के झूठे वादों से आजिज ग्रामीणों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का भी एलान कर दिया है.

माउंटेन मैन की जैसी इच्छा शक्ति के साथ सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीण हाथ में कुदाल तथा फावड़ा लेकर उबड़-खाबड़ संपर्क पथ को समतल बना दिया. इस काम में सैकड़ों ग्रामीण लगे हुए हैं. महिलाएं भी इस काम में पुरुषों का साथ दे रही है. गांव के पगडंडी को सड़क लायक समतल बनाने के बाद अब इसके पक्कीकरण को लेकर जुट गये हैं. पक्कीकरण करने में आने वाले खर्चो के लिए ग्रामीण आपस में चंदा की राशि जमा करना शुरू किया है. पूरे गांव के लोग उत्साह के साथ श्रम के साथ-साथ रुपया भी लगा रहे हैं.

निर्माण स्थल पर ग्रामीण बबलू कुमार,अनिल प्रसाद,शिव बालक मांझी,प्रभु यादव,महेंद्र यादव आदि ने बताया कि गांव को जोड़ने वाली पुरानी सर्वे के पगडंडी को सड़कनुमा समतल करने का काम लगभग पूरा हो गया है तथा ग्रामीणों ने विश्वास है कि इसे ग्रामीण अपने बूते ही पक्की सड़क का निर्माण कर लेंगे.

उपेक्षा से आक्रोश : 1500 की आबादी वाले बसावटों को भी बारहमासी सड़क से जोड़ने की सरकार की योजना के बावजूद इस गांव के संपर्क पथ के लिए किसी भी पंचायत प्रतिनिधि से लेकर निर्वाचित विधायक या सांसद की नजर इस तरफ नहीं गयी है. पंचायत प्रतिनिधि के निधि से इस बड़े काम के होने की संभावना नहीं रहने पर ग्रामीणों ने इस तथ्य को लेकर विधायक तथा सांसद तक से गुहार लगा चुके हैं.

इस छोटे से माने जाने वाले काम को लेकर भी ग्रामीणों को महरूम रखने को लेकर आक्रोश है. ग्रामीण इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी सारा आक्रोश बाहर कर देना चाहते हैं.

वोट का करेंगे बहिष्कार : करीब एक हजार परिवार वाले लक्षणा गांव के लोग इस बार के विधानसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार का निर्णय ले लिया है. गांव में किसी भी नेता को प्रचार करने के लिए निषेध करने के साथ-साथ ग्रामीणों ने सरकारी कर्मी को भी चुनाव के उद्देश्य से गांव में प्रवेश पर रोक लगाने का सर्वसम्मति से निर्णय ले रखा है.

ग्रामीणों का कहना हे कि मोटर या टेंपो से गांव पहुंचना तो ग्रामीणों के लिए सपना है. बरसात के दिनों में पानी में प्रवेश कर महिला तथा पुरुष गांव से बाहर जाते हैं. यह हालत तब है, जब लक्षणा गांव जिला मुख्यालय से एकदम सटा हुआ गांव है.

दूर-दराज के गांव तक विकास की रोशनी नहीं जाने की शिकायत तो हमेशा मीडिया में आते ही रहता है.

पहले भी ग्रामीणों ने किया है आंदोलन :

गांव को सड़क से जोड़ने तथा पेयजल की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने पहले भी प्रशासन के समक्ष कई बार धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम किया है. ग्रामीणों का समूह कई बार समाहरणालय आकर गुहार लगायी है. वर्तमान में ग्राम पंचायत द्वारा गांव के संपर्क पथ तैयार करने को लेकर आश्वासन दिया है. उधर ग्रामीण सड़क निर्माण को लेकर जिले में राशि का कोई अभाव नहीं है.

केवल किसी प्रकार किसी अधिकारी या नेता को इस गांव के लिए सड़क निर्माण की योजना का प्रस्ताव देने को हैं. गांव के बगल से रेलवे लाइन गुजरने के कारण रेल की पटरियां भी ग्रामीणों के आवागमन के साधन है. आजादी के इतने वर्षो बाद भी गांव में सड़क नहीं पहुंचने के कारण लोगों के मन में आक्रोश तो हैं ही साथ ही विकास का दावा करने वाले राजनीतिक पार्टी और नेताओं का मुंह भी चिढ़ा रहा है.

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