गुस्साये ग्रामीणों ने पीएचसी में ताला जड़ किया हंगामा

शेखोपुरसराय : प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शेखोपुरसराय से डॉक्टर के इंतजार में एक घंटे तक तड़पते युवक की मौत के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने जमकर हंगामा मचाया आक्रोशित ग्रामीणों ने दर्जनों मरीज और देर से पहुंचे डॉक्टर को अस्पताल में तालाबंदी कर घंटों हंगामा मचाया. शुक्रवार की सुबह यह घटना तब घटी जब नीमी गांव निवासी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2015 1:39 AM

शेखोपुरसराय : प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शेखोपुरसराय से डॉक्टर के इंतजार में एक घंटे तक तड़पते युवक की मौत के बाद

स्थानीय ग्रामीणों ने जमकर हंगामा मचाया आक्रोशित ग्रामीणों ने दर्जनों मरीज और देर से पहुंचे डॉक्टर को अस्पताल में तालाबंदी कर घंटों हंगामा मचाया.

शुक्रवार की सुबह यह घटना तब घटी जब नीमी गांव निवासी उपेन्द्र सिंह का 38 वर्षीय विकलांग पुत्र राजीव कुमार के मुंह से खून निकल आया. गंभीर अवस्था में मरीज को पीएचसी शेखोपुरसराय लाया गया.

वहां पहुंचने पर अस्पताल में सभी डॉक्टर नदारत थे. डॉक्टर के इंतजार में करीब एक घंटे तक तड़पते युवक ने दम तोड़ दिया. आक्रोशित ग्रामीणों ने बताया कि सुबह करीब साढ़े सात बजे वहां पहुंचे तब वहा एक भी डॉक्टर नहीं थे.

करीब एक घंटे बाद जब युवक ने दम तोड़ दिया, तब चिकित्सा प्रभारी त्रिवेणी प्रसाद वहां पहुंचे और डॉक्टर के इसी लापरवाही के कारण पीएचसी के मुख्य द्वारा में ताला जड़ दिया.

पीडि़त पिता उपेन्द्र सिंह ने बताया कि अस्पताल में अक्सर डॉक्टर गायब रहते है. रात्रि की इमरजेंसी सेवा के दौरान चिकित्सक नशे में धुत भी रहते है.

ऐसे में प्रखंड के मरीजों की जिन्दगी भगवान भरासे ही है. ग्रामीणों के हंगामें की सूचना पाकर घटना स्थल पर पहुंचे शेखोपुर पुलिस और मुखिया संजीव कुमार ने ग्रामीणों को शांत कराया. मौके पर ग्रामीणों ने लापरवाह चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की.

भईवा के डाक्टर कौन बनईतऔ हो बेटवा

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शेखोपुरसराय में इलाज के आभाव में दम तोड़ने वाले 30 वर्षीय राजीव के परिवार पर मानों मुसीबतों का पहाड़ टूट गया. इस घटना के बाद विलाप करती मां मालती देवी बस एक ही बात कहती रही. भईवा के पढ़ा लिखा के डाक्टरवा के बनौतऊ हो बेटवा. शुक्रवार की घटना के बाद पीडि़त परिवार पर मानो मुसबतों का पहाड़ टूट गया.

इस मृतक राजीव विकलांग रहकर भी गांव में ट्यूशन पढ़ाकर बच्चों में शिक्षा का अलख जगा रहा था. इसके साथ ही अपने छोटे भाई को डॉक्टर बनाने का संंजोये था. गरीबी की दंश झेल रहे राजीव के परिवार पर मानों मुसीबतो का पहाड़ टूट गया.

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