सत्ता का खेल खेल रहे नीतीश: मांझी
मोहरा थे, मीडिया ने कराया ताकत और जिम्मेवारी का एहसास शेखपुरा़ : हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमों जीतन राम मांझी ने कहा कि वोट बैंक के लिए उन्हें सीएम का ताज तो पहनाया गया़ लेकिन इसके पीछे मंशा सिर्फ मोहरा बना कर इस्तेमाल करना था. यह तो मीडिया की ही देन था जिन्होंने हनुमान की […]
मोहरा थे, मीडिया ने कराया ताकत और जिम्मेवारी का एहसास
शेखपुरा़ : हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमों जीतन राम मांझी ने कहा कि वोट बैंक के लिए उन्हें सीएम का ताज तो पहनाया गया़ लेकिन इसके पीछे मंशा सिर्फ मोहरा बना कर इस्तेमाल करना था.
यह तो मीडिया की ही देन था जिन्होंने हनुमान की तरह मुझे हमारी शक्ति का एहसास कराया़ मात्र नौ माह के कार्यकाल में उन्हें तो व्यवस्था को समझने और बुझने में लग गया.
इसके बाद जब हमे हमारे शक्ति और दायित्वों का एहसास हुआ़ तब मात्र तीन माह के अंदर किसानों और गरीबों को मुफ्त बिजली जैसे कई बड़े जनहित के फैसले लिए. परंतु यह यह दुर्भाग्य है कि नीतीश कुमार ने उन फैसलों को अबतक लागू नहीं किया.
बिहार में सत्ता संग्राम के बूरे दिन जब आये तब महादलित का बेटा उन्हें याद आया और जब मतलब निकल गया तब उसे बेज्जत कर गद्दी से उतरने को विवश कर दिया.
शेखपुरा विधान सभा के एनडीए गंठबंधन से हम प्रत्याशी के लिए मांझी चुनावी सभा को अरियरी के माहुली गांव में संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने नीतीश और लालू पर बरसते हुए कहा कि इन दोनों को 25 सालों तक बिहार की जनता ने सत्ता की बागडोर संभालने का मौका दिया.
लेकिन आजादी के 68 साल बाद भी बिहार की आवाम मुलभूत सुविधाओं के लिए भी मोहताज बनी है. बिहार के मुख्यमंत्री आज जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाये जाने को बड़ी भुल मान रहे हैं़ हम समझते हैं उन्होंने बड़ी गलती की थी कि एक हरिजन को डरा धमका कर अपने सुविधा के अनुसार इस्तेमाल करेंगे.
परंतु जब मुख्यमंत्री जैसे महत्वपुर्ण पद पर बिहार में बदलाव के लिए अपने मन से फैसले लेने लगे तब उनके पेट में दर्द शुरू होने लगा. उन्होंने नीतीश कुमार को अहंकारी बताते हुए कहा कि महागंठबंधन में कोई दम नहीं है.
उनके अहंकार के कारण मुलायम सिंह यादव और सन ऑफ मल्लाह मुकेश शाहनी भी उन्हें भली भांति समझ गये और उन्हें छोड़ दिया.
एनडीए के अंदर बड़े–बड़े नेता है और पी एम के अगुवाई में चलते हैं. बिहार में एनडीए से मुकाबला करने को लेकर तैयार महागंठबंधन के नायक अहंकार में डूबे है.
अगर बिहार में महागंठबंधन की सरकार बनी तब निष्चित ही बिहारियों को विकास में कई दशक पिछड़ेपन का पश्चाताप करना होगा. बिहार में सत्ता का खेल रहे नीतीश मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए एक बार फिर लालू यादव का पैर पकड़ लिया.
इस चुनावी सभा में निषाद संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सन ऑफ मल्लाह मुकेश शासनी मौजूद थे.
41 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी कर्मियाें ने डाला वोट:शेखपुरा.
जवाहर नवोदय विद्यालय में बनाये गये दो मतदान केंद्र पर 41.85 प्रतिशत सरकारी कर्मियों ने वोट डाल दिया है. मतदान कार्य में लगाये जाने वाले सरकारी कर्मियों के लिए यह विशेष व्यवस्था की गयी है. सरकारी सूत्रें से प्राप्त जानकारों के अनुसार बरबीघा विधान सभा क्षेत्र 354 कर्मियों ने इस तरह के बैलेट के माध्यम से मतदान करने के लिए आवेदन किया था.
बरबीघा क्षेत्र के 159 कर्मियों ने वोट डाल दिया है जबकि शेखपुरा विधान सभा क्षेत्र के 412 आवेदकों में से 162 ने वोट डाला. सरकारी कर्मियो के वोट डालने का यह सिलसिला 10 अक्टूबर जारी रहेगा.