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डेंगू के नौ मरीजों की पहचान

शेखपुरा : जिले में डेंगू मरीजों की लगातार पहचान होने के बाद भी स्वास्थ्य महकमा की अनदेखी रूकने का नाम नहीं ले रहा हे. आलम यह है कि पिछले दो दिनों से डेंगू जांच कीट समापन के बाद तीसरे दिन भी इसकी व्यवस्था नहीं की जा सकी. सदर अस्पताल में 23 सितम्बर को डेंगू वार्ड […]

शेखपुरा : जिले में डेंगू मरीजों की लगातार पहचान होने के बाद भी स्वास्थ्य महकमा की अनदेखी रूकने का नाम नहीं ले रहा हे. आलम यह है कि पिछले दो दिनों से डेंगू जांच कीट समापन के बाद तीसरे दिन भी इसकी व्यवस्था नहीं की जा सकी. सदर अस्पताल में 23 सितम्बर को डेंगू वार्ड का गठन कर जांच शुरू किया गया था.

इस वार्ड में अब तक 27 रोगियों की जांच हुई जिसमें 09 पॉजिटिव मरीज पहचान हुई. पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डाले तब तीन मरीजों की पहचान के बाद उन्हें उपचार के लिए पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया गया है. अस्पताल में डेंगू मरीजों की उपचार तो दूर जांच व्यवस्था ठप पड़ जाने के बाद यहां मरीज हलकान है.

लगातार मिल रहे मरीज
जिले के विभिन्न क्षेत्रों से डेंगू की पहचान किये जाने का शिलशिला जारी है. सरकारी अस्पतालों के साथ–साथ निजी अस्पतालों में भी डेंगू मरीज की पहचान के बाद पटना रेफर किया गया है.
हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों का दावा है कि शेखपुरा में डेंगू मच्छर का प्रकोप नहीं है. दूसरे शहर अथवा राज्य में रहने वालों की घर वापसी के बाद ही डेंगू की शिकायते देखी जा रही है.
नहीं रूकना चाहते हैं मरीज
जिले में डेंगू मरीज ज्यादातर प्रारंभिक स्टेज के पाये गये हैं. चिकित्सकों के मुताबिक 1.5 लाख से 4.5 लाख क्यूविक एमएम प्लेट लेट की मात्र तक मरीज खतरे से बाहर होते है. इनका उपचार संभव होता है परंतु 01 क्युविक एमएम प्लेट लेट से कम वाले मरीज खतरनाक जोन में होते है.
यहां मरीज डेंगू पॉजिटिव सुनते ही रूकना पसंद नहीं करते सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था उन्हे परेशान करती है. हालाकि जांच कीट रहने के बाद भी सरकारी अस्पतालों की हालत डेंगू मरीजों के लिए एक मात्र रेफर सेंटर ही बनकर रहा गया है.
मच्छरों से निजाद की व्यवस्था
शहर हो अथवा गांव डेंगू के प्रभाव के बाद भी यहां मच्छरों से निजाद की व्यवस्था नहीं है. नगर परिषद में छिड़काव तो शुरू हुआ परंतु चुनावी व्यवस्था शायद अड़चन बन गई. जानकारी के मुताबिक छिड़काव का प्रावधान और योजना स्वास्थ्य विभाग के यहां भी मगर योजनाएं फाइलों में धुल फांक रही है.
खास बात यह है कि डेंगू पीडि़त मरीज को दोबारा मच्छर काटने के बाद संक्रमण का खतरा बना रहता है. इसके बाद भी इस गंभीर समस्या के लिए संवेदन हीन व्यवस्था के लिए मरीज और परिजन हल्कान है.

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