बरबीघा : भुवन भाष्कर का पावन पर्व छठव्रत के प्रति लोक आस्था के आगे महंगाई फीका दिखा.
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आस्था पर महंगाई का असर फीका
बरबीघा : भुवन भाष्कर का पावन पर्व छठव्रत के प्रति लोक आस्था के आगे महंगाई फीका दिखा. प्रसाद में लगने वाले कंद–मूल व अन्य फल सामग्रियों के दाम आसमान छू रहे थे पर श्रद्धालुओं ने दाम का परवाह किये वगैर सामग्रियों के खरीद में इस बार कोई उदासीनता नहीं बरती. पर्व में आस्था रखने वाले […]
प्रसाद में लगने वाले कंद–मूल व अन्य फल सामग्रियों के दाम आसमान छू रहे थे पर श्रद्धालुओं ने दाम का परवाह किये वगैर सामग्रियों के खरीद में इस बार कोई उदासीनता नहीं बरती.
पर्व में आस्था रखने वाले कुछ युवाओं ने अपने ओर से गन्ना,फल,मूली, सकरकंद,नारियल और कपड़ा आदि सूखे फलों का वितरण किया. बाजारों में सूप,दौरे,नारियल के साथ अन्य पूजन सामग्रियों की खरीदारी की जा रही है. कुछ फल सामग्रियों में तेजी वृद्धि हुई है.
अनार 180 रुपये किलोग्राम, सेब 60 से रुपये किलोग्राम, केला 50 रुपये दर्जन,नारियल 20 से 30 रुपये पीस आदि की कीमतों में काफी तेजी देखी जा रही है. इसके अलावा सूप, दौरे की कीमत काफी बढ़ी हुई है.
व्रतियों ने किया खरना का अनुष्ठान:शेखपुरा. लोक आस्था के महान सूर्योपासना का पर्व छठ के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना के तौर पर अरवा चावल व दूध का तैयार प्रसाद ग्रहण किया. इस आहार में गुड़ का भी सेवन किया गया.
संध्या काल के शुरू होते ही खरना यानी लोहंडा का अनुष्ठान कर छठव्रती 36 घंटा के अखंड निर्जला उपवास व्रत प्रारंभ कर दिया. कल नहाय-खाय के साथ ही सूर्योपासना के इस महान पर्व की शुरुआत हो गयी थी.
इस त्योहार के अनुष्ठान में पग-पग पर पवित्रता का ध्यान रखा जाता है. लोहंडा सहित अन्य प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के बरतन में ही तैयार किये जाते हैं. प्रसाद बनाने में आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. कई छठव्रती प्रसाद बनाने में पीतल के बरतन को ही प्राथमिकता देते हैं.
व्रतियाों द्वारा लोहंडा का अनुष्ठान किये जाने के बाद चावल, दूध और गुड़ मिश्रित प्रसाद खाने और खिलाने का दौर देर शाम तक जारी रहा. इसके पूर्व छठ में प्रयोग किये जाने वाले मिट्टी के बरतन, सूप तथा फल आदि खरीदने के लिए बाजारों में भारी भीड़ देखी जा रही थी.
छठ के अवसर पर फल आदि बिक्री के लिए विशेष व्यवस्था की गयी थी. बाजार में हालांकि फलों के दाम आम दिनों की तरह किया, परंतु नारियल का दाम कुछ ज्यादा ही चढ़ा हुआ था. आम तौर पर 10 से 15 रुपये में बिकने वाला नारियल 25 से 30 रुपये में बिक रहा था. सेब, नारंगी, केला आदि भी विभिन्न प्रकार के विभिन्न दामों में बाजारों में उपलब्ध थे.
छठ के अवसर पर बनाये जाने वाले ठेकुआ के लिए सूजी,मैदा,घी व सूखे फलों की भी जम कर खरीदारी की जा रही थी. लोग अपने सुविधा से आवश्यकतानुसार खरीदारी कर रहे थे. लोगों की जबरदस्त खरीदारी के कारण बाजार में तिल रखने का स्थान भी नहीं था.
छठ अनुष्ठान के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ दिया जायेगा तथा अंतिम दिन बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ दिया जायेगा तथा अंतिम दिन बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ ही पारण के बाद इस चार दिवसीय सूर्योपासना का समापन हो जायेगा.
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