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सुबह से लेकर शाम तक मजदूरी में ही गुजर जाता

शेखपुरा : शहर के खांडपर मुहल्ले के 30 वर्षीय पुष्पा कहती है कि दो जून की रोटी ओर बदन ढ़कने भर का वस्त्र की जुगाड़ में सुबह से लेकर शाम तक मजदूरी करना ही नियति बन गया है. महंगाई के इस दौर में मौसम का चाहे कोई भी पड़ाव हो उसमें लोहे की तरह शरीर […]

शेखपुरा : शहर के खांडपर मुहल्ले के 30 वर्षीय पुष्पा कहती है कि दो जून की रोटी ओर बदन ढ़कने भर का वस्त्र की जुगाड़ में सुबह से लेकर शाम तक मजदूरी करना ही नियति बन गया है. महंगाई के इस दौर में मौसम का चाहे कोई भी पड़ाव हो उसमें लोहे की तरह शरीर का काम में इस्तेमाल किया जा रहा है.

दरअसल करीब 15 साल पहले पुष्पा की शादी खांडपर मुहल्ले के महेन्द्र महतो से हुई थी. इस उस वक्त उनका पति मामूली रूप से शराब पिया करते थे. इसको लेकर अकसर विवाद भी हुआ करता था. आखिरकार लत ऐसी लगी कि शराब ने उनकी जान ले ली. तीन बेटों और एक बेटी का बोझ लेकर पुष्पा को जिंदगी पहाड़ लगने लगी है.

पीड़िता पुष्पा कहती है बारिश अथवा ठंढ के मौसम में अगर काम बंद रहे तब दोनों वक्त के भोजन पर भी आफत बना रहता है. हमारे तोे बसा बसाया संसार उजड़ गया. परंतु अगर सरकार ने शराब पर पाबंदी लगने की पहल किया है तब आने वाले समय में नई पीढि़यों का भविष्य सुनहरा होगा.

कारोबार पर टिकीं निगाहें
जिले में अवैध शराब के कारोबार का जाल इस कदर फैला है कि प्रत्येक प्रखंडों,गांवों का भी नाम बदनामियों के लिए जाना जाता है. अवैध कारोबार पर अगर नजर डाले तब जिला मुख्यालय से महज 02 किलोमीटर की दूरी पर मुरारपुर गांव है जहां दशकों से दर्जनों अवैध शराब की भट्टियां लगभग आधे किलोमीटर की दूरी में अपना पांव पसारे है.
वहीं बरबीघा के कोयरी बीघा, नारायणपुर, जगदीशपुर समेत अन्य गांवों में अवैध शराब का कारोबार आम लोगों के साथ जिला प्रशासन की चुनौती बना है. सरकार ने जब शराबंदी का एलान किया तब अवैध शराब कारोबार एक बड़े विकल्प का रूप धारण कर उभरने लगा है.

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