शेखपुरा कैसे बनेगा खुले में शौचमुक्त जिला
शेखपुरा. जिले को खुले में शौच से मुक्त जिला बनाये जाने के सरकारी प्रयासों को गहरा धक्का लगा है. चालू वित्तीय वर्ष के निर्धारित लक्ष्य 11822 शौचालय निर्माण के विपरीत अभी तक मात्र 1621 शौचालय बन पाया है. जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने इस आंकड़े पर घोर आपत्ति की है तथा जिला जल व स्वच्छता समिति […]
शेखपुरा. जिले को खुले में शौच से मुक्त जिला बनाये जाने के सरकारी प्रयासों को गहरा धक्का लगा है. चालू वित्तीय वर्ष के निर्धारित लक्ष्य 11822 शौचालय निर्माण के विपरीत अभी तक मात्र 1621 शौचालय बन पाया है.
जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने इस आंकड़े पर घोर आपत्ति की है तथा जिला जल व स्वच्छता समिति के जिला समन्वयक रंजीत कुमार का वेतन काट लिया है. जिलाधिकारी ने जिला समन्वयक से इस कच्छप गति पर स्पष्टीकरण भी मांगा है.
गौरतलब है कि 2019 तक जिले को खुले में शौच मुक्त बनाये जाने को लेकर सरकार द्वारा तैयार योजनाओं का यहां क्रियान्वयन शुरू करने को कहा गया था. सभी लोगों को अपने-अपने घरों में शौचालय निर्माण तथा शौचालय के प्रयोग पर जोर देने के लिए सरकारी राशि पानी की तरह बहाई जा रही है.
पिछले माह का अंतिम पखवारा स्वच्छता जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया गया. इस योजना की सफलता के लिए सरकार ने पंचायतों को खुले में शौच मुक्त करने पर जिला समन्वयक को 20 हजार रुपये तथा प्रखंड समन्वयक को 40 हजार रुपये देने की घोषणा की है, परंतु सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लक्ष्य के अनुसार काफी प्रचार-प्रसार के बाद भी जिले भर से 4855 आवेदन शौचालय निर्माण के लिए आये थे,
परंतु इसमें से 2795 आवेदनों पर ही शौचालय निर्माण को लेकर भुगतान किया गया. इस गति से शौचालय निर्माण होने पर जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाने का सपना पूरी तरह सपना ही रह जाने का अंदेशा बनता जा रहा है.
काफी तामझाम से लंबा प्रचार-प्रसार के बाद भी दस योजना का क्रियान्वयन सरजमीन पर होता नहीं दिख रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में लोगों को खुले में शौचालय करने जाते देखा जा सकता है. खास कर कुकुरमुत्ते की तरह उग आये तथाकथित अंगरेजी स्कूलों के छात्र सवेरे और शाम में नियमित रूप से शौच के लिए बाहर ही जाते हैं. बच्चों के हाथ में लोटा भी रहता है.