जिले में आधा दर्जन पुलिस जीप का हाल बुरा, गश्ती पर असर

जिले में आधा दर्जन पुलिस जीप का हाल बुरा, गश्ती पर असर खटारे पर पसीना बहा रही पुलिस हाइटेक अपराधी और पैदल पुलिस से भला कैसे हो मुकाबला शेखपुरा : जिले में आधा दर्जन थाना और ओपी की पुलिस अक्सर अपराधियों के आगे खुद को बेबस मान कर चुप बैठ जाती है. अपराध नियंत्रण और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2015 5:23 AM

जिले में आधा दर्जन पुलिस जीप का हाल बुरा, गश्ती पर असर

खटारे पर पसीना बहा रही पुलिस
हाइटेक अपराधी और पैदल पुलिस से भला कैसे हो मुकाबला
शेखपुरा : जिले में आधा दर्जन थाना और ओपी की पुलिस अक्सर अपराधियों के आगे खुद को बेबस मान कर चुप बैठ जाती है. अपराध नियंत्रण और विधि व्यवस्था की चुनौतियों के बीच असामाजिक तत्वों और अपराधियों से लड़ने वाली पुलिस की यह हालत उनकी खटारा जीप के कारण है.
जिले के कई थानों में नयी जीप और सुमो गाड़ी है तो कई सालों पुराना और खटारा जीप कई थानों की पुलिस ने अपनी व्यवस्था सुनाते हुए कहा कि अक्सर गश्ती के लिए जीप लेकर तो जरूर जाते हैं, मगर वापसी कई किमी दूर तक पैदल ही होती है. इस दौरान कई बार तो अपराधी खदेड़े जाने के बावजूद भाग निकलने में कामयाब हो जाते हैं, तो कभी-कभार अपराधी और असामाजिक तत्वों से घिरने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
खटारे जीप को अक्सर मरम्मत के लिए गैराज भेज कर मरम्मत में पैसा पानी की तरह बहाना पड़ रहा है, तो कभी खटारे जीप को धक्का मारने में ही जवानों को पसीने बहाने पड़ रहे हैं. 15 से 25 किमी की परिधि में कानून व्यवस्था कायम करने मेें पुलिस खटारे जीप को किसी अभिशाप से कम नहीं मानते.
सीमावर्ती थानों में खटारा जीप :
जिले में पुलिस जीप की अवस्था सीमावर्ती क्षेत्रों में दुर्भाग्यपूर्ण है. पड़ोसी जिला, जमुई, नवादा, नालंदा, पटना और लखीसराय के सीमावर्ती इलाकों में अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण करने वाले थानों,ओपी में संसाधनों के अभाव के बावजूद खटारा जीप का सहारा लेना ही बड़ी विवशता है. जिले में लूट, हत्या,
अपहरण जैसी वारदात को लेकर पुलिस जिस प्रकार सक्रियता दिखाने का दावा कर रही है. उसमें कमजोर संसाधन के सहारे अपराध नियंत्रण आम लोगों की नजर में एक ढकोसला जबकि पुलिस की निगाह में एक बोझा साबित हो रहा है. सीमित जुगाड़ की बैसाखी पर चलने वाली पुलिस की यह विवशता आखिर कब तक अपराध और अपराधियों के आगे बेबस रहेगी, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा.
नक्सर क्षेत्र के सीमावर्ती थानों का हाल : यूं तो जिले में अपराध नियंत्रण को लेकर अधिकांश थानों में या तो नये वाहन है अथवा पुराने भी है तो उनका कंडीशन ठीक-ठाक है. लेकिन जिले के साथ जो सबसे बड़ी विडंबना है वह कोई साधारण बात नहीं. आधे दर्जन थाने ओपी जिनका वाहन खटारा है. वे सभी नक्सल प्रभावित जिलों के सीमा क्षेत्र से हैं. नक्सल प्रभावित जमुई का सीमावर्ती करंडे थाना जहां अक्सर खटारे जीप को धक्का मार कर चालू किया जाता है.
वही हाल अरियरी के महुली ओपी, लखीसराय जिले का सीमावर्ती सिरारी ओपी, नवाजा जिले का सीमावर्ती कसार ओपी, नालंदा एवं नवादा जिले का सीमावर्ती कोसुम्भा ओपी, नालंदा एवं पटना जिले का सीमावर्ती जयरामपुर थाना के अलावा केवटी, हथियावां ओपी को मिली पुलिस जीप की हालत काफी बदतर है. जिले में नक्सल गतिविधि को रोकने के लिए कई सीमावर्ती थानों में कई पुलिस बल की तैनाती व विशेष सुरक्षा व्यवस्था भी करीब एक साल पहले बहाल की गयी थी, परंतु वाहनों की बदतर हालातों ने इन सारी व्यवस्थाओं को पंगु बना दिया है.

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