दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर, न्याय की गुहार

शेखपुरा : डीएम का जनता दरबार में उस समय उपस्थित लोग भावुक हो गये जब एक वृद्ध ने अपनी भीगी आंखों से बुढ़ापे में खाने-पीने के लाले पड़ने की आपबीती डीएम को सुनाई. वृद्ध बरबीघा के तोयगढ़ निवासी रामविलास सिंह ने डीएम ने बताया कि उसके तीन बेटे भी है. एक बेटा रामाशीष घर-बार छोड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2016 3:57 AM

शेखपुरा : डीएम का जनता दरबार में उस समय उपस्थित लोग भावुक हो गये जब एक वृद्ध ने अपनी भीगी आंखों से बुढ़ापे में खाने-पीने के लाले पड़ने की आपबीती डीएम को सुनाई. वृद्ध बरबीघा के तोयगढ़ निवासी रामविलास सिंह ने डीएम ने बताया कि उसके तीन बेटे भी है. एक बेटा रामाशीष घर-बार छोड़ कर संन्यासी हो गया है.

दूसरा बेटा गिरिश सिंह दिल्ली के प्राइवेट कंपनी में काम करता है. वही भी कभी अपने पुस्तैनी घर आता नहीं है. तीसरा बेटा सुधीर सिंह डाकपाल है जो अपने परिवार के साथ अलग रहता है. वह भी उसे खाने-पीने को नहीं देता है. पत्नी भी दोनों आंखों से अंधी है. वह इस कदर दाने-दाने को विवश है कि कोई दे देता है तो उसमें वह वृद्ध आधा अपनी पत्नी को खिलाता है और आधा खुद खाता है. कभी-कीाी उसे भूखे रहना पड़ता है. उसके शरीर में उतनी ताकत भी नहीं है कि वह दूसरे के यहां मजदूरी भी कर सके. ऐसे हालत में उसके तीसरे बेटे उसकी पुस्तैनी घर द्वार बेचने पर आमदा है.

एक तो वह खाने-पीने नहीं देता है और उसका रैन बसेरा के रूप में घर-बार भी वह बेचने को कह रहा है. इस भावुक दृश्य को देख कर डीएम भी भावुक हो गये और पूरे मामलों को एसडीओ सुबोध को जांच के आदेश दे दिये. साथ ही वृद्ध के डाक पाल बेटे को नोटिस करने का निर्देश दिया. भरण पोषण करने की कार्रवाई को भी निर्देशित किया गया है. इसी दृश्य को लेकर यह कहा जा सकता है कि युवा पन का यह कष्ट उतना दुखदायी नहीं होता है जितना की बुढ़ापे में अपनों के द्वारा दिये गये कष्ट.

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