सदर अस्पताल में फिजियोथेरेपी चिकित्सा पर तालाबंदी का खतरा
आधा-अधूरा उपचार नहीं कराना चाहते हैं मरीज शेखपुरा : आधुनिक दौर और भागदौड़ की जिंदगी में लोगों की सेहत तेजी से बिगड़ने लगी है. इसका खामियाजा आज बूढ़े-बुजुर्ग के साथ-साथ युवाओं को भी भुगतना पड़ रहा है. खान-पान और व्यायाम से बहुत हद तक अन्य बीमारियों से बचाव तो किया जा सकता है, लेकिन भागदौड़ […]
आधा-अधूरा उपचार नहीं कराना चाहते हैं मरीज
शेखपुरा : आधुनिक दौर और भागदौड़ की जिंदगी में लोगों की सेहत तेजी से बिगड़ने लगी है. इसका खामियाजा आज बूढ़े-बुजुर्ग के साथ-साथ युवाओं को भी भुगतना पड़ रहा है. खान-पान और व्यायाम से बहुत हद तक अन्य बीमारियों से बचाव तो किया जा सकता है, लेकिन भागदौड़ की होड़ में लोग अक्सर कमर, रीढ़ और गर्दन एवं जोड़ के दर्द से ग्रसित हो जाते हैं. खास बात यह है कि एक आंकड़े के मुताबिक प्रत्येक 100 में से 30 व्यक्ति कम से कम किसी न किसी उम्र के पड़ाव में ऐसे रोग से ग्रस्त हो जाते हैं.
सरकार ने ऐसे बीमारियों से राहत दिलाने के लिए सदर अस्पताल परिसर में फिजियोथेरेपी सेवा की शुरुआत करीब दो वर्ष पहले की थी. शुरुआती दौर में फिजियोथेरेपी सेवा वरदान बन कर लोगों का दुख हर कर रोगमुक्त करने में बड़ी कामयाबी हासिल की. मगर करीब एक साल बाद से ही यह व्यवस्था बदहाली और अनदेखी का शिकार हो गया. फिलहाज फिजियोथेपेरी की बदहाल व्यवस्था के कारण यहां लोग मरीज आधा-अधूरा उपचार कराने से अच्छा वापस लौट जाना ही मुनासिब समझते हैं.