खांडपर में जर्जर मकान ढाहने में किरायेदार ने किया मुकदमा
नगर कार्यपालक पदाधिकारी समेत अन्य पर लगा आरोप मकान को खाली करने को लेकर करीब आठ माह से नोटिस जारी की जा रही थी शेखपुरा : शहर के खांड पर मोहल्ले में जर्जर मकान को ढाहने की कार्रवाई के तीसरे दिन कार्यपालक पदाधिकारी सुनील कुमार के खिलाफ सिविल कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है. […]
नगर कार्यपालक पदाधिकारी समेत अन्य पर लगा आरोप
मकान को खाली करने को लेकर करीब आठ माह से नोटिस जारी की जा रही थी
शेखपुरा : शहर के खांड पर मोहल्ले में जर्जर मकान को ढाहने की कार्रवाई के तीसरे दिन कार्यपालक पदाधिकारी सुनील कुमार के खिलाफ सिविल कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है. इस परिवाद में अधिकारी पर अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्रवाई करने एवं दुकान की सामग्री लूटने का आरोप लगाया है. इस आरोप में कार्यपालक पदाधिकारी के अलावे सिटी मैनेजर अवध प्रसाद, प्रधान लिपिक अवधेश प्रसाद एवं सहायक विक्की आनंद शर्मा को भी आरोपी बनाया गया.
वादी पक्ष के खांड पर मोहल्ले के हार्डवेयर दुकान संचालक केदार राम के पुत्र अजय राम ने आरोप लगाया है कि वे अपने दादा के मकान में हार्डवेयर की दुकान चलाते थे. हसनगंज निवासी देवेंद्र प्रसाद के कहने पर उक्त मकान को ढाह कर सामग्री लूट ली गयी. इधर नगर सूत्रों ने बताया कि उक्त जर्जर भवन को लेकर भवन निर्माण विभाग ने बदहाल स्थिति में होने और खतरे की आशंका जतायी थी. इसके बाद इस मामले में मकान मालिक देवेंद्र प्रसाद को नोटिस जारी कर मकान तोड़ने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद मकान मालिक के परिजनों ने उक्त जर्जर भवन पर कब्जा जमा कर रखने का आरोप लगाया था. उक्त जर्जर मकान को खाली करने को लेकर करीब आठ माह से नोटिस जारी की जा रही थी. इसके बावजूद निर्देश की अनदेखी कर व्यस्ततम आबादी में खतरे की स्थिति बना रखी थी. इसके बाद अनुमंडलाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी और सुरक्षा बल के द्वारा कार्रवाई की गयी थी. देवेंद्र प्रसाद उक्त जमीन की खरीद पांच साल पहले पटना में रहने वाले महावीर प्रसाद से की थी.
जेल अधीक्षक से जेलर को जान का खतरा
शेखपुरा. जेल अधीक्षक उमेश प्रसाद सिंह से जेलर को जान का खतरा उत्पन्न हो गया है. जेलर ने इस संबंध में थाना में सनहा दर्ज कराया है. जेल के अंदर अधिकारी और कर्मचारी के साथ-साथ कैदियों की गुटबंदी सामने आ गयी है. जेल अधीक्षक और जेलर एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी हद तक जाने को तैयार है. थाना में सनहा दर्ज कराने के अलावा जेलर ने जिलाधिकारी को भी आवेदन देकर अधीक्षक से जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगायी है.
जिलाधिकारी द्वारा भी इस मामले में जांच शुरू कर दी गयी है. जेल अधीक्षक इसी माह 29 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उनके सेवानिवृत्ति के बाद जेलर को काफी भय सता रहा है. इस संबंध में पुलिस सूत्रों ने बताया कि जेलर से प्राप्त आवेदन को विभागीय जांच के लिए कारा विभाग को सौंप दिया गया है. इस प्रकार जेल व्यवस्था को तार-तार करने को लेकर इन दोनों अधिकारियों की करतूत सामने आनी शुरू हो गयी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार जेल के अंदर मीनू के अनुसार भोजन नहीं दिये जाने की शिकायत कैदियों द्वारा कई स्तर से की गयी है.
रंगदारी का मामला दर्ज
शेखपुरा. पुस्तैनी जमीन की घेराबंदी के दौरान रंगदारी की मांग एवं जान मारने की धमकी देते हुए खदेड़ भगाये जाने का मामला सामने आया है. भूमि विवाद में कई बार प्राथमिकी के बावजूद गिरफ्तारी नहीं होने से पीडि़तों ने प्रशासनिक कार्यशैली पर उंगली उठाते हुए न्याय की गुहार लगायी है.
भूमि विवाद का यह मामला बरबीघा थाना अंतर्गत गोयरी बिगहा की है. इस मामले को लेकर नालंदा जिले के बिहारशरीफ अंतर्गत शेरपर मोहल्ला निवासी फौजेल अहमद जिलानी ने बरबीघा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए बबन बिगहा गांव निवासी व कांग्रेस उपाध्यक्ष, सुरेश प्रसाद सिंह, महेश प्रसाद सिंह, उमेश प्रसाद सिंह, सुजीत कुमार तथा रामजी सिंह को नामद अभियुक्त बनाया है. इस पूरे मामले को लेकर पीडि़त ने बताया कि बरबीघा के कोयरी बिगहा स्थित कैजुल्लापर मौजा में उनकी 88 डिसमिल पुस्तैनी जमीन है, जिसका खाता संख्या 304 एवं खसरा 798 है.
उन्होंने बताया कि इसी जमीन के विवाद का मामला उच्च न्यायालय में चल रहा था एवं इसके पश्चात बरबीघा अचंलाधिकारी एवं पुलिस बल की निगरानी में 12 फरवरी 2016 को उनकी पुस्तैनी जमीन को पाइलिंग पिलर गड़वा कर अलग कर दिया गया. परंतु जैसे ही अगले दिन वो लोग अपनी जमीन पर कार्य कराने वहां पहुंचे तो आरोपियों द्वारा उन्हें वहां से भगा दिया गया, जिस पर उन्होंने मामले की सूचना थाने को दी. इउक्त जमीन की घेराबंदी करने वहां पहुंचे तो आरोपी फिर वहां पहुंचे एवं 50 लाख रुपये रंगदारी की मांग की .
तथा रंगारी के रुपये दिये बगैर काम करने पर जान मार दिये जाने की धमकी दी गयी. पीडि़त ने बताया कि इस घटना से पूर्व भी उन्हें कई बार डरा-धमका कर वहां से भगाया जा चुका है एवं अब तक कुल चार बार प्राथमिकी भी दर्ज करायी जा चुकी है. परंतु राजनैतिक पहुंच के कारण आरोपियों का बाल भी बांका नहीं हो पाता है और प्रशासन भी आरोपियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करने से कतराती है. बहरहाल पीडि़त ने सुशासन की कही जाने वाली इस सरकार में वरीय प्रशासनिक अधिकारियों से एक बार फिर न्याय की गुहार लगायी है.