अनदेखी. जांच से खुलासा होगा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही

फेंकी मिलीं एक्पायरी दवाइयां भारी मात्रा में सरकारी दवा फेंके जाने से चर्चा का विषय शहर के सूर्य मंदिर तालाब के उतरी छोर पर स्थित शिव मंदिर के पास शुक्रवार को भारी मात्रा में सरकारी दवा फेंका मिला. हालांकि दवाएं किसने औरकहा से ला कर फेंका गया, जो अभी मामला रहस्य बना हुआ है. हिलसा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2016 12:36 AM

फेंकी मिलीं एक्पायरी दवाइयां

भारी मात्रा में सरकारी दवा फेंके जाने से चर्चा का विषय
शहर के सूर्य मंदिर तालाब के उतरी छोर पर स्थित शिव मंदिर के पास शुक्रवार को भारी मात्रा में सरकारी दवा फेंका मिला. हालांकि दवाएं किसने औरकहा से ला कर फेंका गया, जो अभी मामला रहस्य बना हुआ है.
हिलसा : एक तरफ गरीबों के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध दवाओं की किल्लत बता अपना हाथ खड़ा कर देने वाले अस्पताल कर्मियों व चिकित्सा विभाग से जुड़े पदाधिकारी लोगों को दवा ने देकर बाहरी दुकान का रास्ता दिखा देते हैं. वहीं भारी मात्रा में एक्सपायरी दवाओं को फेंके जाने का मामला प्रकाश में आया है.
शहर के सूर्य मंदिर तालाब के उतरी छोर पर स्थित शिव मंदिर के पास शुक्रवार को भारी मात्रा में सरकारी दवा फेंका हुआ पाया गया. हालांकि दवाएं किसने औरकहा से ला कर फेंका गया, जो अभी मामला रहस्य बना हुआ है. जबकि मुहल्ले एंव आस पास के दर्जनों छोटे छोटे अबोध बच्चे मंदिर के ईद-गिर्द खेला करते हैं.
ये बच्चे अगर गलती से भी एक्सपायर दवाएं मुंह में ले ले तो मौत की शिकार बन सकते हैं. मुहल्ले निवासी ने बताया कि स्कैपियोल लोशन नामक ये दवाओं का जखीरा सबसे पहले सुबह देखा गया. ऐसी चर्चा है कि रात में किसी ने अपने जिम्मेवारी से बचने के लिए यहां ला कर फेंक दिया है. चिकित्सकों के कथनानुसार यह दवा खाज खुजली जैसे चर्म रोग में उपयोगी है.
दवा पैक फाइल से स्पष्ट लिखा है कि इसका प्रयोग गला से नीचे ही किया जा सकता है. दवा प्रयोग के समय बच्चों को दूरी बनाये रखने का निर्देश स्पष्ट रूप से दिया गया है. दवाओं का दुरुपयोग का मामला यह पहला नहंी है. नाम नहीं छापने के शर्त पर अस्पताल से जुड़े कर्मी ने बताया कि कई बार दवा की उपलब्धता के बावजूद भी मरीज को दवा न देकर सादे पुर्जें पर लिख कर बाहर के दुकाने से लाने को कहा जाता है.
इस तरह का मामला प्रकाश में आने से स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है. एक तरफ सरकार स्वास्थ्य विभाग में सुधार का दावा करते दिखाती. वहीं दूसरी ओर इस तरह की स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही ने सरकारी व्यवस्था की पोल खोल दी है.

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