अरियरी प्रखंड मुख्यालय में अधिकारी और कर्मियों में दहशत
अरियरी : पिछले अरियरी प्रखंड में विकास का अलख जगाने वाले ही खुद आज इतने मजबूर है कि दहशत और परेशानी का एक साथ सामना करने को विवश है. बारिश के इस मौसम में प्रखंड कार्यालय के साथ-साथ बीडीओ और सीओ के चैंबर में भी जलजमाव की स्थिति को झेल रहे हैं. हालांकि जर्जर छत के नीचे पत्थर के टुकड़े गिरने का भय भी हमेशा बरकरार रहता है. अरियरी प्रखंड कार्यालय में जलजमाव का आलम यह है कि अपने चैंबर तक पहुंचने के लिए प्रखंड के बीडीओ और सीओ भी जूते और चप्पल हाथ में लेकर चलना होता है.
भले ही बीडीओ चैंबर में एसी लगा हो लेकिन परिसर में जलजमाव की व्यवस्था बदहाली की पोल खोलने के लिए काफी है. जलजमाव के इस स्थिति के कारण प्रखंड एवं अंचल कार्यालय के दस्तावेजों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहा है. कर्मियों के साथ-साथ बीडीओ और सीओ के चैंबर में भी बारिश का पानी जमा है. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां पिछले दो सालों से बरसात के मौसम में यह स्थिति बनी रहती है, लेकिन आज तक जलजमाव की स्थिति से प्रखंड मुख्यालय को निजात नहीं मिल सका है. इस अवस्था को लेकर प्रखंड प्रतिनिधि से लेकर यूको बैंक प्रबंधन पर जलजमाव का खतरा मंडरा रहा है. जलजमाव की समस्या से त्रस्त प्रखंड प्रशासन जब खुद स्थिति के आगे बेबस है तो आम जनों का भला अथवा समस्या से निजात कौन दिला सकेगा. जलजमाव के इस समस्या को लेकर अब प्रखंड की उपेक्षा में जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं. बीडीओ परमानंद पंडित ने कहा कि इस अवस्था की जानकारी जिलाधिकारी को दी गयी, लेकिन आज तक कोई पहल नहीं हुआ. इस अवस्था की जानकारी देने पर क्षेत्रीय विधायक रणधीर कुमार सोनी ने दो कमरों के निर्माण का आश्वासन दिया. बीडीओ ने कहा कि इस बदहाली को लेकर पहले भी डीडीसी को पत्राचार किया गया था. बैठकों में भी कई बार मुद्दे उठाये गये. लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका. दरअसल प्रखंड कार्यालय से सटे पूरब दिशा की ओर अस्पताल भवन के निर्माण से पानी का निकास बाधित हो गया. साथ ही सड़क से प्रखंड कार्यालय का स्तर नीचे हो जाने से यह स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इस स्थिति के लिए दोबारा डीडीसी को पत्राचार किया जा रहा है.
समस्या का नहीं हो रहा स्थायी समाधान : नवादा जिला में पड़ने वाले एनएच-31 की हालत खराब रहने के बाद कोई भी स्थायी समस्या का समाधान नहीं सका. न तो विभाग के पास गड्ढों को भरने का कोई प्रस्ताव है और न ही एनएच 31 को बनाने की योजना है.
इस मार्ग को फोरलेन बनाने के लिए सड़क के किनारे से पेड़ को काट दिया गया. परंतु केंद्र व राज्य सरकार के बीच टकराव के कारण फोरलेन का निर्माण कार्य अधर में लटक गया है. न तो फोरलेन बना और न ही सड़क की मरम्मत करायी गयी.