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बच्चों ने कहा, हत्यारों को मिले सजा

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By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2016 1:01 AM
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आक्रोश. कोस्ट गार्ड की विधवा ने अधिकारियों पर खड़े किये सवाल, जताया विरोध

बेसुध पड़ी विधवा और मासूम बच्चे .
शेखपुरा : पीएम अंकल हमारे पिता की मौत के कारणों और गुनाहगारों की भूमिका की जांच कराओ और मेरी मां को न्याय दिलाओ. हमारी शिक्षा का बंदोबस्त कर पिता के अरमानों को पूरा करने में हमारी मदद करो. गुजरात के ओखा में मिस फायरिंग से शेखपुरा के चेवाड़ा गांव निवासी कोस्टगार्ड जवान कैलाश यादव की मौत के बाद जब 10 अक्तूबर की देर शाम जवान का शव चेवाड़ा स्थित अपने गांव पहुंचा तब वहां अंतिम दर्शन को हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. मौके पर विधवा और मासूम का रो-रो कर बुरा हाल है. विधवा रेखा अपने चीत्कार में ही कई सवाल खड़े किये. पीडि़ता ने कहा कि तटरक्षा में वे रडार ऑपरेटर का काम करते थे.
इन्हें फायरिंग से कोई लेना-देना नहीं था. इसके बाद भी मिस फायरिंग की घटना बतायी जा रही है. आठ अक्टूबर को पौने तीन बजे की घटना में रिश्तेदारों को कोई जानकारी नहीं दी गयी, जबकि पूरे शहर में घटना की सूचना थी. परिवार को घटना के करीब साढ़े तीन घंटे बाद सूचना दी गयी. लेकिन सैन्य अधिकारी बार-बार गुजरात में ही दाह संस्कार का दबाव बना रहे थे. इसके लिए कई प्रलोभन भी दिये गये. शव भेजने के नाम पर अधिकारियों ने पूरा सिर गायब होने की बात कही. साथ ही विधवा को उक्त अधिकारी ने इस घटना में ससुराल और माइके वालों के द्वारा साथ नहीं देने का मनगढ़ंत किस्सा भी सुनाया, लेकिन पीड़ित परिवार शव लाने को लेकर डटे रहे. आखिरकार 10 अक्टूबर को शव शेखपुरा पहुंचा. मौके पर पीडि़ता ने इस मौत के पीछे कोई बड़ी साजिश की आशंका जाहिर कर सरकार से न्याय की गुहार लगायी है. इसके साथ ही मुआवजे के लिए पहल की मांग की है.
इधर विधवा के दो मासूम बच्चों में स्नेहा और शुभम ने प्रधानमंत्री से इस मामले में पहल करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अंकल मेरे पिता के मौत के पीछे आखिर किसका हाथ है. उसकी जांच करा कर जिम्मेवार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. साथ ही बच्चयों के बेहतर पढ़ाई के प्रबंधन की मांग की. शुभम ने कहा कि मैं भी पिता की तरह ही सेना में जाकर देश की रक्षा करने की इच्छा रखता था, लेकिन इस घटना में अगर न्याय नहीं मिला तो कोई भी मां अपने बच्चों को सेना में भरती नहीं कराना चाहेगी. न्याय की आस में आज भी विधवा का बुरा हाल है.

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