।। रंजीत कुमार ।।
शेखपुरा : पोस्ट मैट्रिक की छात्रवृत्ति योजना में यूपी के दो शिक्षण संस्थानों समेत अन्य महाविद्यालयों के द्वारा फर्जीवाड़े का मामला उजागर किया गया है. इस मामले में पॉलिटेक्निक, बीटेक एवं बीसीए समेत अन्य कोर्स कराने के नाम पर छात्रवृत्ति लाभ की राशि निकासी के पूर्व ही विभाग और चयन समिति ने इस बड़े फर्जीवाड़े का परदाफाश कर दिया.
लगभग 30 लाख रुपये शिक्षा शुल्क के लिए दिये गये सभी 8420 आवेदनों में 113 आवेदन को विभाग ने संदेहास्पद करार देते हुए जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. जिला कल्याण पदाधिकारी ने बताया कि सभी संदेहास्पद आवेदकों को जहां यूपी के दो शिक्षण संस्थानों के द्वारा पॉलिटेक्निक, बीसीए एवं बीटेक का कोर्स कराने के लिए छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन आवेदन दिया है, जबकि इन्हीं छात्र-छात्राओं के द्वारा स्थानीय महाविद्यालयों से भी इंटरमीडिएट शिक्षा शुल्क का छात्रवृत्ति आवेदन जमा कराया गया है.
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब ऑनलाइन 8420 आवेदनों का प्रिंट आउट निकाला गया. कल्याण पदाधिकारी योगेंद्र पाठक ने बताया कि सभी संदेहास्पद आवेदनों को चिह्न्ति कर उसकी गहन जांच करायी जा रही है. आवेदनों की स्वीकृति के लिए डीडीसी की अध्यक्षता में सांसद भूदेव चौधरी एवं विधायक रणधीर कुमार सोनी ने इस गड़बड़ी को लेकर संस्थानों की भूमिका को संदेहास्पद बताते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
उन्होंने बताया कि यूपी के दो शिक्षण संस्थानों में त्रिवेनी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एजुकेशन एवं एएमएस महाविद्यालय कानपुर से प्राप्त आवेदनों में मूल अभ्यर्थी के बजाय संस्था ने निजी मोबाइल अंकित किया है. इसके साथ ही अभ्यर्थियों का फोटो भी धुंधला कर दिया गया, ताकि विभाग द्वारा छानबीन के दौरान वास्तविकता की जानकारी नहीं मिल सके.
जिला कल्याण पदाधिकारी ने बताया कि एक छात्र-छात्रा के द्वारा एक ही सत्र में दो संस्थानों में छात्रवृत्ति का दोहरा लाभ लेने में यूपी के दोनों शिक्षण संस्थानों समेत स्थानीय महाविद्यालयों की भूमिका को लेकर 29 अप्रैल को चयन समिति की बैठक बुलायी गयी है, जिसमें सांसद और विधायक भी होंगे.
– मामला मैट्रिक की छात्रवृत्ति योजना
* यूपी के दो शिक्षण संस्थान समेत कई महाविद्यालयों की भूमिका संदेह के घेरे में
* ऑनलाइन 8420 आवेदनों का प्रिंट आउट निकाला गया