पटना. छात्रों के आंदालन के बाद कोचिंग संचालकों पर सरकार की ओर से दर्ज प्राथमिकी का कई राजनेताआनें ने विरोध किया है. राजद नेता शिवानंद तिवारी ने जहां परीक्षा बोर्ड पर मुकदमे की मांग की है, वहीं हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने ऐसे कदमों से आंदोलन के और भड़ने की आशंका जाहिर की है.
आरआरबी द्वारा आयोजित एनटीपीसी सीबीटी-1 की परीक्षा के परीक्षाफल में गड़बड़ी से नाराज अभ्यर्थियों का आंदोलन के बाद राजद नेता शिवानंद तिवारी ने मांग की है कि पुलिस को शिक्षकों की जगह रेलवे भर्ती बोर्ड के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए. राजद के वरिष्ट नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि पुलिस को रेलवे बहाली बोर्ड पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए. इनके अध्यक्ष सहित तमाम सदस्यों को अभियुक्त बनाया जाना चाहिए.
स्वंय रेल मंत्री ने कुबूल किया है कि लड़कों की शिकायत जायज है. साथ ही कहा कि इस मामले में बहाली बोर्ड ने अपराधिक लापरवाही बरती है. इन्हीं की वजह से लड़कों में उत्तेजना फैली. बोर्ड से अनुरोध किया गया था कि गलती को सुधारिए अन्यथा लड़के रेल की पटरियों पर उतर सकते हैं. लेकिन अफसरी अहंकार में बोर्ड वालों ने अपनी गलती नहीं सुधारी.
इसके बाद जो कुछ हुआ वो सबके सामने है. इसलिए पुलिस द्वारा कोचिंग चलाने वालों पर केस दर्ज करना बिलकुल गलत है. मैं माँग करता हूं कि कोचिंग वालों पर से मुकादम हटाया जाए और बहाली बोर्ड के अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों और पदाधिकारियों पर मुकादम दर्ज किया जाए.
इधर, भाजपा के सहयोगी पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि सरकार रोजगार के विषय में बात करे, वर्ना हालात और भयानक हो सकते हैं. जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि संविधान में हिंसा तोड़फोड़ का आधिकार किसी को नहीं है, वैसे अब वक्त आ गया है कि जब सरकार रोजगार के विषय में बात करे, नहीं तो हालात इससे भी भयानक उत्पन्न हो सकते है.
माझी ने कहा है कि छात्र उपद्रव के नाम पर खान सर सहित पटना के कई शिक्षकों पर किये गये मुकदमे इस अघोषित युवा आन्दोलन को और भी ज्यादा भड़का सकता है. मांझी के इस बयान के बाद बिहार की सियासत के और तेज होने की आशंका जतायी जा रही है.