बिहार में जंगली सूअरों व नीलगायों को मारने के लिए भाड़े पर रखे गये शूटर, मुखिया को मिला परमिट देने का अधिकार

बिहार सरकार एक बार फिर जंगली सूअरों और नीलगायों को मारने का काम पेशेवर निशानेबाजों को सौंपने जा रही है. किसानों की गुहार पर फसलों को बचाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है. सरकार ने 13 पेशेवर निशानेबाजों का इस काम के लिए चयन किया है, जिनकी सूची सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को भेज दी गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2023 5:17 PM

पटना. बिहार सरकार एक बार फिर जंगली सूअरों और नीलगायों को मारने का काम पेशेवर निशानेबाजों को सौंपने जा रही है. किसानों की गुहार पर फसलों को बचाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है. सरकार ने 13 पेशेवर निशानेबाजों का इस काम के लिए चयन किया है, जिनकी सूची सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को भेज दी गयी है. बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि जहां भी आवश्यकता होगी पेशेवर निशानेबाजों की सेवा ली जायेगी.

जंगली सूअरों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं

उन्होंने कहा कि बिहार में नीलगायों या जंगली सूअरों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन जिन जिलों में इनकी बड़ी संख्या में उपस्थिति हैं, उनमें मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, भोजपुर, शिवहर और पश्चिम चंपारण शामिल हैं. गुप्ता ने कहा कि नीलगाय और जंगली सूअर एक दिन में कई एकड़ फसल को नष्ट कर देती हैं. बिहार के कुछ जिलों में किसान अपनी तैयार फसलों को उनसे बचाने के लिए पूरी रात बाहर बैठे रहते हैं. गुप्ता ने कहा कि फसलों को नुकसान पहुंचाने के अलावा नीलगाय सड़क हादसों का कारण भी बनती हैं.

मुखिया को ‘नोडल अथॉरिटी’ के रूप में नियुक्त किया गया

उन्होंने कहा कि वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम-1972 के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित क्षेत्र के बाहर पेशेवर निशानेबाजों की मदद से दोनों पशुओं की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए मुखिया को ‘नोडल अथॉरिटी’ के रूप में नियुक्त किया गया है. मुखिया अपने क्षेत्र के किसानों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर उसकी जांच करेगा. शिकायतों के उचित सत्यापन के बाद ही निशानेबाजों को शिकार परमिट जारी करेगा. इस काम के लिए राज्य सरकार मुखिया को कारतूस मद में एक विशिष्ट राशि प्रदान करेगी, जबकि जानवरों को दफनाने के लिए 700 रुपये दिये जाएंगे. उन्होंने कहा कि जानवरों को मारने से लेकर उन्हें दफनाने तक के अभियान में मुखिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.

पशु प्रेमियों ने किया फैसले का विरोध 

बिहार सरकार के इस कदम का पशु-प्रेमियों ने विरोध किया है और मांग की है कि सरकार इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान ढूंढे और जानवरों को मारने की अनुमति न दे. देश में ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआई) के प्रबंध निदेशक आलोकपर्ण सेनगुप्ता ने कहा कि किसी भी जानवर की हत्या की निंदा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को एक दीर्घकालिक समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए और इन दो पशुओं को इस तरह से मारने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. यह एक तथ्य है कि कई राज्य सरकारों ने पहले ही दोनों जानवरों को मारने की अनुमति दे दी है, लेकिन वहां इनके द्वारा फसल बर्बाद किये जाने की समस्या अब भी बरकारा है.

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