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श्रावणी मेला: कृष्णा बम 40 साल बाद पहली बार डाक कांवर लिए नहीं दिखेंगी, हर सोमवारी को लोग करते थे इंतजार

श्रावणी मेला 2023: मुजफ्फरपुर की रहने वाली 72 वर्षीय कृष्णा बम ने अब विश्राम का फैसला ले लिया है. वो डाक कांवर लेकर इस बार कांवरिया पथ पर नहीं दिखेंगी. पहले लोग हर सोमवारी को उनका इंतजार करते थे. कांवरिया पथ पर उनसे आशीर्वाद लेने लोगों की भीड़ उमड़ती थी. लेकिन अब वो नहीं दिखेंगी.

Shravani Mela 2023: श्रावणी मेला 2023 के दौरान लोगों को अब कृष्णा बम के दर्शन नहीं होंगे. माता बम के नाम से लोगों के बीच फेमस रहीं कृष्णा बम (krishna Bam) मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं. वो लगातार पिछले 40 साल से डाक कांवर लेकर 24 घंटे के अंदर देवघर पहुंचती रहीं. एक बार उन्हें जलार्पण करने में परेशानी भी हुई थी. वहीं अब उन्होंने विश्राम का फैसला ले लिया है और इस बार कांवरिया पथ पर नहीं दिखेंगी.

71 साल उम्र तक दौड़ती गयीं कृष्णा बम

मुजफ्फरपुर के चकबासु की रहने वाली 72 वर्षीया कृष्णा रानी को कृष्णा बम या माता बम के नाम से कांवरिया पथ पर जाना जाता है. वो इस बार से भोलेनाथ को कांवर नहीं चढ़ायेंगी. कोरोनाकाल को छोड़कर 40 वर्ष तक लगातार हर सोमवार को वो जल लेकर सुल्तानगंज से देवघर जाती रहीं. कृष्णा बम बाबा को डाक कांवर चढ़ाती रहीं. पिछले साल उन्होंने कांवर-यात्रा का 40वां साल पूरा किया और तभी इसी घोषणा कर दी थी कि अब वो कांवर लेकर बाबा के दरबार नहीं आएंगी. अब विश्राम का फैसला उन्होंने लिया है.

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1982 में पहली बार डाक कांवर लेकर देवघर के लिए चलीं

कृष्णा बम से मशहूर कृष्णा रानी ने बताया कि डाक बम के रूप में मैं कांवर लेकर 1975 में पहली बार पहलेजा से गरीबनाथ पहुंची. 12 घंटे में 75 किलोमीटर की दूरी तय की. 1975 से 1982 तक लगातार सात साल तक पहलेजा से जल लाकर बाबा गरीबनाथ को चढ़ाती रही. इसके बाद 1982 से मैंने सुल्तानगंज से जल लेकर डाक बम के रूप में देवघर जाना शुरू किया. डाक कांवर की 100 से अधिक किलोमीटर की यात्रा 18 घंटे पूरी की.

कृष्णा बम बताती हैं कि रास्ते में मुझे देखने के लिये भीड़ इतनी अधिक होती थी कि मुझे झारखंड सरकार की ओर से स्कॉट की सुविधा दी गयी. बता दें कि 2019 में कृष्णा बम को देवघर बाबा मंदिर में पूजा करने में असुविधा हुई थी जिसपर उन्होंने तब नाराजगी प्रकट की थी.

साइकिल से कर चुकी हैं कई तीर्थ की यात्रा

कृष्णा बम ने बताया कि 1989 में गंगोत्री से रामेश्वरम की 4500 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी उन्होंने तय की है. 2014 में कैलाश मानसरोवर वो गयीं. खास बात यह है कि कृष्णा बम मुजफ्फरपुर से साइकिल से 11 बार वैष्णो देवी की यात्रा कर चुकी हैं. मुजफ्फरपुर से कामख्या देवी भी साइकिल चलाकर वो जा चुकी हैं. सुल्तानगंज से कांवरिया पथ पर उन्हें देखने व साथ में सेल्फी लेने लोगों की होड़ मची रहती थी. कृष्णा बम के साथ-साथ सिक्युरिटी को भी दौड़ लगाना पड़ता था.

Published By: Thakur Shaktilochan

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