गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के किनारे सबसे सुंदर दिखेगा सिमरिया, बोले संजय झा- कल्पवास में दिखेगा भव्य रूप
गंगा किनारे करीब 85 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के पहले फेज का निर्माण हो गया है. श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बहुमंजिली धर्मशाला के निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है. मुक्तिधाम में विभिन्न सुविधाओं के निर्माण के संबंध में भी अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा कर कई निर्देश दिये.
सिमरिया (बेगूसराय). सिमरिया का भव्य स्वरूप अगले साल सामने आएगा. गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक मुख्य गंगा नदी के किनारे सिमरिया से सुंदर घाट या धाम कहीं और नहीं दिखेगा. यह बात बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने शुक्रवार को सिमरिया धाम में सीढ़ी घाट और धर्मशाला के निर्माण के साथ-साथ संपूर्ण कल्पवास मेला क्षेत्र में सुविधाओं के विकास एवं सौंदर्यीकरण की जल संसाधन विभाग की योजना के तहत कराये जा रहे कार्यों का स्थल निरीक्षण करने के उपरांत कही. उन्होंने योजना के सभी कार्यों को अगले साल निर्धारित समय पर पूर्ण गुणवत्ता के साथ पूरा कराने के लिए विभागीय अधिकारियों एवं अभियंताओं को जरूरी निर्देश दिये.
चहारदीवारी कराने का कार्य अब अपने अंतिम चरण में
फिलहाल यहां संपूर्ण कल्पवास मेला क्षेत्र (करीब एक लाख वर्ग मीटर क्षेत्र) में मिट्टी भराई कर उसकी चहारदीवारी कराने का कार्य अब अपने अंतिम चरण में है. गंगा किनारे करीब 85 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के पहले फेज का निर्माण हो गया है. श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बहुमंजिली धर्मशाला के निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है. जल संसाधन मंत्री ने सिमरिया में सिक्स-लेन सेतु से दक्षिण में स्थित मुक्तिधाम में विभिन्न सुविधाओं के निर्माण के संबंध में भी अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा कर कई निर्देश दिये.
पहले फेज में कुछ कार्यों को तेजी से पूरा कराया जा रहा
स्थल निरीक्षण के उपरांत मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि हमलोगों का प्रयास है कि पावन सिमरिया धाम को मुख्य गंगा नदी के किनारे गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक स्थित किसी भी अन्य घाट या धाम से सुंदर विकसित किया जाये. हरिद्वार स्थित ‘हर की पौड़ी’ गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे नहीं, बल्कि इसकी शाखा के किनारे निर्मित है. फिलहाल सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण की योजना के पहले फेज में कुछ कार्यों को तेजी से पूरा कराया जा रहा है, ताकि इस साल कार्तिक मास में लगने वाले कल्पवास मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को यहां हो रहे बदलाव की सुखद अनुभूति हो.
धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा सिमरिया
उन्होंने विश्वास जताया कि सुविधाओं का विकास हो जाने पर सिमरिया धाम धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा. मिथिला ही नहीं, बिहार और बिहार के बाहर तथा नेपाल तक से भी यहां अधिक संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे. यह स्थल रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है. साथ ही, सिमरिया राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की जन्मस्थली के रूप में भी विख्यात है. यहां पर्यटन का विकास होने पर आसपास के इलाके में होटल और परिवहन सहित कई तरह के कारोबार एवं रोजगार के अवसर पैदा होंगे. कुल मिलाकर यह योजना मिथिला सहित संपूर्ण बिहार के लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा साबित होगी.
उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण इसका धार्मिक महत्व
उल्लेखनीय है कि सिमरिया धाम में उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण इसका धार्मिक महत्व काफी अधिक है. हर साल कार्तिक मास में यहां कल्पवास मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सिमरिया कल्पवास मेले को एक दशक से अधिक से राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. यहां वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और 2017 में महाकुंभ का भी आयोजन हो चुका है. इसके अलावा स्नान, मुंडन और धार्मिक अनुष्ठान के लिए सालोभर काफी श्रद्धालु और साधु-संत सिमरिया आते रहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
114.97 करोड़ रुपये की विस्तृत योजना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवंबर 2022 में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा के साथ सिमरिया धाम में लगे कल्पवास मेले में भ्रमण किया था और श्रद्धालुओं एवं साधु-संतों का फीडबैक लिया था. उन्होंने सिमरिया कल्पवास क्षेत्र के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार ‘कॉन्सेप्ट प्लान’ की समीक्षा कर विस्तृत योजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के निर्देश दिये थे. जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार 114.97 करोड़ रुपये की विस्तृत योजना को 22 मार्च 2023 को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिली थी. इसके बाद खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 मई 2023 को इसका शिलान्यास किया था.
सभी कार्यों को 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य
जल संसाधन विभाग की योजना में सिमरिया गंगा तट पर मौजूदा राजेंद्र पुल और उसके दक्षिण में निर्माणाधीन सिक्स-लेन सड़क पुल के बीच करीब 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट एवं रीवर फ्रंट, चेंजिंग रूम, गंगा आरती का स्थान, घाट के समानांतर नदी में सुरक्षा घेरा, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था, धर्मशाला, शौचालय परिसर, ओपन एयर थियेटर, पार्क, पार्किंग, पाथवे, प्रशासनिक भवन, वाच टावर और प्रकाश की व्यवस्था इत्यादि को शामिल किया गया है. इन सभी कार्यों को 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.