नवीन चौधरी के 17 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी, किरु जलविद्युत परियोजना में 2200 करोड़ की अनियमितता का मामला
CBI Red news bihar : केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बिहार के दरभंगा निवासी सेवानिवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा (भाप्रसे) के अधिकारी नवीन कुमार चौधरी के 17 ठिकानों पर बुधवार शाम एक साथ छापा मारा है.
पटना. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बिहार के दरभंगा निवासी सेवानिवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा (भाप्रसे) के अधिकारी नवीन कुमार चौधरी के 17 ठिकानों पर बुधवार शाम एक साथ छापा मारा है. जम्मू में किरू जलविद्युत परियोजना कार्य में 2200 करोड़ रुपये की अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई ने छापेमारी की है. सीबीआई ने किरू जलविद्युत परियोजना अनुबंध में अधिकारियों, एजेंटों के बीच गठजोड़ का पता लगाया है. संघीय जांच एजेंसी दरभंगा में एक, श्रीनगर में दो, दिल्ली में पांच, मुंबई में तीन, पटना में एक और जम्मू में पांच स्थानों पर आरोपियों के सहयोगियों, बिचौलियों और अन्य के परिसरों सहित 17 स्थानों पर तलाशी ले रही है. सीबीआई के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक “दरभंगा में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के घर की तलाशी ले रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह सीवीपीपीपीएल के चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी का सहयोगी है.
आपत्तिजनक दस्तावेज हुए हैं बरामद
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा कि हमने आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं जो सरकारी कर्मचारियों और बिचौलियों के बीच गठजोड़ को साबित करते हैं. सूत्र ने कहा कि 20 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल सत्यपाल मलिक के अनुरोध पर नवीन चौधरी (आईएएस) अधिकारी, तत्कालीन अध्यक्ष, सीवीपीपीपीएल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. एमएस बाबू, तत्कालीन एमडी, सीवीपीपीपीएल; एम के मित्तल, तत्कालीन निदेशक, सीवीपीपीपीएल; अरुण कुमार मिश्रा, तत्कालीन निदेशक, सीवीपीपीपीएल और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पूर्व एलजी को रिश्वत देने की कोशिश की थी.
सिविल कार्य में निविदा के दिशा-निर्देश का पालन नहीं
उल्लेखनीय है कि “2019 में एक निजी कंपनी को किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (HEP) के सिविल कार्यों के 2200 करोड़ रुपये के ठेके देने में कदाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. किरू जलविद्युत परियोजना के सिविल कार्य में निविदा के दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया गया था . इससे पहले 21 अप्रैल को सीवीपीपीपीएल के तत्कालीन चेयरमैन, तत्कालीन एमडी, तत्कालीन निदेशकों समेत आरोपियों के परिसरों में भी तलाशी ली गई थी. जांच के दौरान तत्कालीन अध्यक्ष सहित बिचौलियों की कथित भूमिका, इन बिचौलियों और लोक सेवकों के बीच वित्तीय लेनदेन के सबूत मिले.