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बक्सर में सिंगल यूज पॉलीथिन प्रतिबंध बेअसर, अभी भी खुलेआम बिक्री कर रहे हैं दुकानदार

बक्सर के डुमरांव शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाके में पॉलीथिन का बेरोक-टोक इस्तेमाल जारी है. शहरों में सब्जी की दुकान हो या किराना की दुकान अथवा फल दुकान, ठेला सहित हर जगहों पर प्रतिबंधित पॉलीथिन धड़ल्ले से चलन में है

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2022 6:09 AM

बक्सर. सिंगल यूज पॉलीथिन पर एक जुलाई से पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बावजूद डुमरांव शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाके में इसका बेरोक-टोक इस्तेमाल जारी है. शहरों में सब्जी की दुकान हो या किराना की दुकान अथवा फल दुकान, ठेला सहित हर जगहों पर प्रतिबंधित पॉलीथिन धड़ल्ले से चलन में है. दुकानदार और ग्राहक इसका पहले की तरह ही उपयोग कर रहे है. इस पर रोक लगे भी तो कैसे जब पॉलीथिन का कारोबार करने वाले अभी भी इसे खुलेआम बिक्री कर रहे है. पहली जुलाई को जब सिंगल यूज पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा, तो नगर पर्षद प्रशासन ने आम लोगों को पॉलीथिन से बचाव और जुट के थैले उपयोग करने के प्रति जागरूक किया.

प्रतिबंध बेअसर दिख रहा है

शहरों में पॉलीथिन के खिलाफ छापेमारी की गयी, जिसमें पॉलीथिन बरामदगी के साथ ही कई दुकानदारों से जुर्माना वसूला गया. इसके बावजूद इसके प्रतिबंध बेअसर दिख रहा है. लोगों का कहना है कि नप प्रशासन प्रतिबंध को लेकर पहले जैसा गंभीर नहीं रहा. प्रशासनिक अमला की ढील मिली तो बाजारों में पॉलीथिन दोबारा अपनी जगह बना ली. जानकारों का कहना है कि शहरी लोगों के जीवन में पॉलीथिन एक ऐसी वस्तु बन गयी है जो हर खरीदारी पर इसका इस्तेमाल हो रहा है. बाजार से राशन, फल, जूस, कपड़े, मिठाई, सब्जी आदि की खरीदारी कर घर जाना पड़े, तो सबसे पहले ग्राहक दुकानदारों से पॉलीथिन में देने की मांग करते है. इसका उपयोग कर शहरवासी इधर-उधर सड़कों पर फेंक देते है. जिससे शहर की स्वच्छता पर दाग सहित पर्यावरण को नुकसान होता है.

‘पॉलीथिन का त्याग जरूरी है’

पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्रशेखर कहते है कि जल-जीवन-हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पॉलीथिन का त्याग जरूरी है. इसका उपयोग बंद कर आने वाले पीढ़ियों को जीवनदान दे सकते है. धरती का गहना पेड़ो की हरियाली है लेकिन मिट्टी के दूषित होने से धीरे-धीरे हरियाली समाप्त हो रही है. पर्यावरण दूषित होने से मानव जीवन पर भी गहरा असर पड़ता है. त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ एसके सैनी कहते है कि पॉलीथिन के संपर्क में रहने से लोगों के खून में थेलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है. जिससे त्वचा रोग, सांस लेने में तकलीफ और कैंसर जैसी घातक बीमारियां उत्पन्न हो जाती है. कूड़े-कचरे पर फेंके गये पॉलीथिन को जलाया जाता है. उससे उठने वाले जहरीले धुएं में विषैले तत्व पाये जाते है. जो हरियाली और मानव जीवन के लिए घातक है.

क्या कहते हैं अधिकारी

डुमरांव के कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि पॉलीथिन के उपयोग से बचने के लिए लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया. साथ ही कई बार मंडियों में छापेमारी कर पॉलीथिन की बरामदगी के साथ दुकानदारों से जुर्माना राशि वसूली गयी. पॉलीथिन के उपयोग करने पर नप प्रशासन कड़ी कार्रवाई करेगी.

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