अयोध्या में राम मंदिर की तरह अब बिहार के सीतामढ़ी में बनेगा भव्य जानकी धाम, पीएम मोदी कर सकते हैं शिलान्यास
बिहार के सीतमाढ़ी में राम मंदिर की तर्ज पर जानकी मंदिर बनेगा . पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों जानकी धाम का शिलान्यास कराया जा सकता है. 57 एकड़ जमीन पर यह जानकी धाम बनेगा. इसमें माता जानकी की 251 फुट ऊंची प्रतिमा लगेगी. जानिए और क्या होगा खास..
Janki Dham Sitamarhi: अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. देशभर से भक्तों का अयोध्या पहुंचना शुरू हो गया है. वहीं अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद अब बिहार के सीतामढ़ी में भव्य जानकी धाम बनाने की तैयारी चल रही है. पुनौरा धाम के पास 57 एकड़ जमीन पर जानकी धाम बनेगा. इसमें माता जानकी की 251 फुट ऊंची प्रतिमा लगेगी. वहीं जानकी धाम का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराने की योजना बनी है. प्रयास किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले ही जानकी धाम प्रोजेक्ट का शिलान्यास कराया जाए.
माता जानकी की बनेगी 251 फुट ऊंची प्रतिमा
सीतामढ़ी के पुनौरा धाम के पास 57 एकड़ जमीन पर जानकी धाम बनेगा. इसमें माता जानकी की 251 फुट ऊंची प्रतिमा लगेगी. सीतामढ़ी में 12 एकड़ 43 डिसमिल जमीन इसके लिए प्राप्त भी कर ली गयी है. शेष जमीन के लिए एग्रीमेंट प्रक्रिया चल रही है. रामायण रिसर्च काउंसिल इस मंदिर का निर्माण करायेगा. इसमें विश्व हिंदू परिषद का विशेष सहयोग रहेगा. जानकी धाम को अयोध्या के राम मंदिर के तर्ज पर बनाये जाने की योजना है. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार भूमि का निरीक्षण कर चुके हैं.
पीएम मोदी से शिलान्यास कराने की तैयारी
बता दें कि इस मंदिर के निर्माण कार्य में आइआइटी पटना तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा. अयोध्या के श्रीराम मंदिर निर्माण में लगे आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी अपनी सेवा देंगे. रामायण रिसर्च कौंसिल ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जानकी धाम का शिलान्यास कराने की योजना बनायी है.
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51 शक्तिपीठों से आएगी मिट्टी व ज्योत
रामायण रिसर्च काउंसिल ने पिछले दिनों एक बैठक की जिसमें विहिप के पदाधिकारी और श्रीराम जन्म भूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सदस्य और काउंसिल के अध्यक्ष कामेश्वर चौपाल विशेष रूप से शामिल हुए. उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी क्षेत्र को शक्ति, पर्यटन व सांस्कृतिक केद्र के रूप में विकसित करने का संकल्प हमलोगों ने किया है. सीतामढ़ी में माता सीता की भव्य प्रतिमा लगेगी. साथ ही 51 शक्तिपीठों से मिट्टी व ज्योत लाकर माता सीता को उसी रूप में स्थापित किया जाना है, जिस रूप में मां शक्तिपीठों में विराजमान हैं. उन्होंने कहा कि माता सीता को पहली बार यहां भगवती के रूप में स्थापित कर सीतामढ़ी क्षेत्र को शक्ति-स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा.
बिहार के हर जिले में चलेगा अभियान
कामेश्वर चौपाल ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए बिहार के हर जिले में जन-जागरण अभियान के माध्यम से लोगों को जोड़ा जायेगा और पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. भगवान श्रीराम माता सीता के बिना अधूरे हैं, इसलिए अयोध्या में राम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी में भी काउंसिल के अंतर्गत माता सीताजी की भव्य प्रतिमा के निर्माण-कार्य को जल्द शुरू किया जायेगा. बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर बनने का उत्साह बिहार में भी दिख रहा है. अयोध्या से अक्षत कलश बिहार पहुंचा है और पूजित अक्षत को निमंत्रण के तौर पर बांटा जा रहा है. मां सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में भी अयोध्या से अक्षत कलश पहुंचा है.
सीतामढ़ी में मंदिर निर्माण को लेकर सियासी बयानबाजी
गौरतलब है कि हाल में ही संपन्न विवाह पंचमी के अवसर पर सीतामढ़ी में मंदिर निर्माण को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हुई थी. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि एक तरफ केंद्र सरकार पूरे ताम-झाम से भगवान राम की जन्मभूमि का निर्माण करवा रही है. वहीं दूसरी तरफ उन्हें माता सीता के जन्मस्थान सीतामढ़ी की कोई फिक्र ही नहीं है. केंद्र सरकार को सीता जन्मस्थान की इस उपेक्षा पर जवाब देना चाहिए.
जदयू महासचिव की मांग
एक अन्य पोस्ट में जदयू महासचिव ने लिखा है कि हकीकत में यदि भाजपा को भगवान राम के प्रति सच्ची श्रद्धा होती , तो भाजपा सबसे पहले सीता जन्मस्थान का कायाकल्प करती. हर कोई जानता है कि माता सीता के बिना प्रभु श्री राम अधूरे हैं. भाजपा भूल गयी है कि यह माता सीता ही थी, जिनके लिए प्रभु राम ने अपार समुद्र को पार कर रावण का संहार किया. रामायण की रचना का भी आधार यही बना. माता सीता की महिमा के कारण ही देश का बच्चा-बच्चा ‘जय सियाराम’ कहता है, जय रामसीता नहीं. इसके बावजूद भाजपा की सीता जन्मस्थान के प्रति उदासीनता उनके राजनीतिक स्वार्थ को दर्शाती है. बता दें कि नीतीश सरकार ने कैबिनेट बैठक में सीतामढ़ी के पुनौरा धाम जानकी मंदिर के विकास कार्य के लिए 72 करोड़ 47 लाख रुपए की स्वीकृति दी है.