कृष्ण बाललीला व जन्म की सार्थकता पर श्रोता मंत्रमुग्ध

आस्था. श्रीसीताराम नाम जाप महायज्ञ में भाव विभोर हुए दर्शक सुप्पी : प्रखंड क्षेत्र के ढ़ेंग रेलवे स्टेशन परिसर व बरहरवा बाजार स्थित काली मंदिर परिसर में आयोजित 10 दिवसीय श्री सीताराम नाम जाप महायज्ञ के छठे दिन श्रीमद्भागवत कथावाचिका व व्यास व्यास सरस किशोरी जी ने श्री राम जन्म, बाल व विवाहलीला पर विस्तार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2017 4:49 AM

आस्था. श्रीसीताराम नाम जाप महायज्ञ में भाव विभोर हुए दर्शक

सुप्पी : प्रखंड क्षेत्र के ढ़ेंग रेलवे स्टेशन परिसर व बरहरवा बाजार स्थित काली मंदिर परिसर में आयोजित 10 दिवसीय श्री सीताराम नाम जाप महायज्ञ के छठे दिन श्रीमद्भागवत कथावाचिका व व्यास व्यास सरस किशोरी जी ने श्री राम जन्म, बाल व विवाहलीला पर विस्तार से चर्चा किया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बैठे श्रोता श्रद्धालुओं की ताली के गड़गड़ाहट से वातावरण भक्तिमय हो रहा था. बाद में व्यास श्री किशोरी जी ने कंस के अत्याचार से भक्तों की रक्षा के लिए श्रीकृष्णा जी की जन्म की महिमा व उसके सार्थकता की बखान की गयी, जिसे सुन कर लोग मंत्रमुग्ध हो गये. इस दौरान सभा में बैठे श्रद्धालु समय-समय पर गोपी बन कर नाचते व झूमते देखे गये.
व्यास जी ने गजेंद्र मोक्ष की कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलीकाल में मानवों की स्थित हाथी की तरह हो गया है. जिस प्रकार बंधा हुआ हाथी यह सोंच कर बैठ जाता है कि उसके पैरों में बेड़िया डाल दी गयी है, वह कुछ नहीं कर सकता. उसी प्रकार वर्तमान समय में मानव अपनी इच्छा शक्ति को मरा हुआ समझ कर बंधा हुआ महसूस कर रहे हैं. दान, पुण्य, परोपकार, पूजा व आराधना से लोग अपने आपको दूर ही रखना श्रेयस्कर समझते हैं, पर उन्हें इस बात को याद रखना चाहिए कि सतसंग से जिस प्रकार की ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है, वह पुस्तक, रेडियो व टीवी देखने से कतई संभव नहीं है. मरते दम तक लोग माया-मोह में फंसे रहना पसंद करते हैं, यही कारण है कि अंतिम समय में लोगों को अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. एक समय था जब राजा-महाराजा चौथे पन में अपना सब कुछ त्याग कर वाणप्रथ जीवन जीने के लिए जंगलों में चले जाते थे. मौके पर कांग्रेस विधायक अमित कुमार टुन्ना समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे. बताया गया कि विधायक श्री टुन्ना द्वारा अपने निजी कोष से सहयोग किया.

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