मंझधार में फंसी बाढ़ पीड़ितों की ”कश्ती”

बाढ़ का कहर. अब आसमान से हुई आफत की बारिश, जिले के लोगों की बढ़ी परेशानी बारिश की भेंट चढ़ा पॉलीथिन व कपड़ों से बना गरीबों का आशियाना रून्नीसैदपुर में नाव ही सहारा बैरगनिया में मोबाइल सेवा अब भी ठप जिले के रून्नीसैदपुर इलाके में सबसे अधिक तबाही सीतामढ़ी : जिले में बाढ़ के जारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2017 5:51 AM

बाढ़ का कहर. अब आसमान से हुई आफत की बारिश, जिले के लोगों की बढ़ी परेशानी

बारिश की भेंट चढ़ा पॉलीथिन व कपड़ों से बना गरीबों का आशियाना
रून्नीसैदपुर में नाव ही सहारा
बैरगनिया में मोबाइल सेवा
अब भी ठप
जिले के रून्नीसैदपुर इलाके
में सबसे अधिक तबाही
सीतामढ़ी : जिले में बाढ़ के जारी सितम के बीच गुरूवार को बारिश ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया. एक तो पूरा इलाका बाढ़ के पानी से घिरा है और लोग अपना घर छोड़ बांध, रेलवे ट्रैक के किनारे व हाइवे पर शरण लिए हुए है, जहां पॉलीथीन व कपड़ों को टांग अपना आशियाना बना सिर छिपा रहे है, लेकिन गुरूवार को एक बार फिर आसमान से हुई आफत की बारिश ने न केवल गरीबों का आशियाना उजाड़ दिया, बल्कि सपरिवार भींगने को विवश कर दिया.
बारिश के चलते कपड़े, अनाज, बच्चे व मवेशी सब पानी -पानी नजर आये. सबसे ज्यादा तबाही की तस्वीर सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर हाइवे के रून्नीसैदपुर के इलाकों में दिखी. इस इलाके में हाइवे के किनारे लोगों ने पॉलीथीन व कपड़ों का अपना अस्थायी ढांचा बना रखा है.
जिसमें लोग अपना सिर ढ़क रहे है. लेकिन प्रकृति की टेढ़ी नजर ने लोगों को यहां भी परेशान कर रखा है. यहीं हाल बैरगनिया के इलाके में बागमती तटबंध पर पनाह लिए हुए लोगों का है. इधर, रून्नीसैदपुर में एक बार फिर बूढ़ी गंडक नदी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. पूरा इलाका पानी की गिरफ्त में है. बैरगनिया के 50 फीसदी इलाके में बाढ़ का पानी बरकरार है. अन्य इलाकों में बाढ़ के पानी के साथ कीचड़ ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. बाढ़ के पानी व आसमान से होती आफत की बारिश के बीच विस्थापितों की कश्ती मंझधार में फंस कर रह गयी है.
दस दिनों में सांप ने डंसा 200 लोगों को : सीतामढ़ी ़ बाढ़ के जारी कहर के बीच सर्पदंश की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है. पिछले दस दिनों में सर्पदंश की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है. हालत यह है कि अकेले सदर अस्पताल में 200 से अधिक आक्रांतों को भरती कराया गया है. हालांकि अन्य इलाकों में हुई घटनाओं पर गौर करे तो जिले में दस दिनों में साढ़े तीन सौ लोग सर्प दंश से आक्रांत हुए है. इनमें दो की मौत हुई है.
इधर, सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के चिकित्सक डॉ सुनील कुमार बताते है कि सर्पदंश की घटनाएं बढ़ रहीं है. हालांकि ससमय अस्पताल पहुंचने के चलते लोगों की जान बच रहीं है.
बाढ़ के पानी के साथ परेशानी बरकरार
बैरगनिया़ 13 जुलाई को आये बाढ़ के चलते बैरगनिया तबाह हो कर रह गया है. बाढ़ से उत्पन्न बर्बादी के निशान अब भी बरकरार है. जलजमाव की वजह से लोग परेशान है.
बाढ़ के चलते भारत-नेपाल सीमा पर स्थित एसएसबी कैंप को भी भारी नुकसान पहुंचा है. कैंप में करीब 15 फिट पानी बह रहा था. कैंप के निकट बागमती तटबंध टूटने के कारण कैंप में ज्यादा पानी प्रवेश कर गया था. एसएसबी के सहायक सेना नायक ललित मोहन डोभाल ने बताया कि अचानक आयी बाढ़ के कारण कैंप के सामानों को बचाने का मौका नहीं मिला.
कम्प्यूटर, सभी कागजात व कई महत्वपूर्ण सामान नष्ट हो गया. जवानों ने हाइस्कूल बैरगनिया व प्रखंड कार्यालय के भवन में शरण ली थी. वहीं रसूलपुर कैंप के जवान ढेंग प्राथमिक विद्यालय में अब तक शरण लिए हुए है. यहां एसएसबी के तीनों कैंप के 92 जवान मौजूद थे.
जवानों को जान बचाने के साथ साथ हथियार बचाने की चुनौती थी. इस समय भी कैंप में पानी लगा है. बाबजूद जवानों द्वारा बाढ़ पीड़ितों की सहायता की जा रही है.
एसएसबी जवान बलुआ टोला व मसहा नरोतम समेत सभी बाढ़ प्रभावित गांव में जाकर राहत वितरण व दवा का छिड़काव आदि कर रहे हैं.

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