बाढ़ पर प्रशासनिक तत्परता से पाया काबू

सीतामढ़ी : जिले में बाढ़ का असर कम होने लगा है. हालांकि जिस तरह इलाके की बागमती व अधवारा समूह की नदियों ने बर्बरता दिखायी थी, उस पर प्रशासनिक तत्परता भारी पड़ी है. यहीं वजह है कि 18 दिन बाद ही इलाके की तस्वीर बदल गयी है. बाढ़ के दौरान 68 लोगों की मौत डूबने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2017 5:23 AM

सीतामढ़ी : जिले में बाढ़ का असर कम होने लगा है. हालांकि जिस तरह इलाके की बागमती व अधवारा समूह की नदियों ने बर्बरता दिखायी थी, उस पर प्रशासनिक तत्परता भारी पड़ी है. यहीं वजह है कि 18 दिन बाद ही इलाके की तस्वीर बदल गयी है.

बाढ़ के दौरान 68 लोगों की मौत डूबने से हुई है. सैकड़ों घर व हजारों हेक्टेयर खेत में लगी फसल समेत अरबों की संपत्ति बर्बाद हो गयी है. 11 स्थानों पर बांध टूटने से इलाके में जबरदस्त तबाही मची है. तकरीबन 70 हजार की आबादी प्रभावित हुई है. 17 हजार लोगों ने प्रशासनिक राहत कैंप में दिन व रात गुजारे है. 203 सड़कें व 16 पुल ध्वस्त हुए है. रेलवे ट्रैक बह गये है. विद्युत व मोबाइल सेवाएं ध्वस्त हो गयी. इन सबके बावजूद जिला प्रशासन ने काफी कम समय में स्थिति में बदलाव लाने में सफलता पाई है.
रोजाना सड़क व बांध मरम्मत का काम चल रहा है. पीड़ितों तक राहत पहुंचाने का काम भी अब तेज हो गया है. हालांकि रून्नीसैदपुर में बाढ़ की तबाही का दौर जारी है. अब भी बागमती नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. बैरगनिया, बोखड़ा व बेलसंड में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है. सीतामढ़ी-बैरगनिया व बैरगनिया-पूर्वी चंपारण पथ बूरी तरह ध्वस्त है. 18 वें दिन भी इन सड़कों पर आवागमन बाधित रहा. वहीं बैरगनिया में रेलवे ट्रैक ध्वस्त होने के चलते रेल परिचालन भी बाधित है. बैरगनिया में जहां अब भी सैकड़ों लोग बांध पर पनाह लिए हुए है, वहीं रून्नीसैदपुर में हाइवे पर पॉलीथीन टांग कर गरीब विस्थापित जीवन जीने को विवश है. सीतामढ़ी-दरभंगा व सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर रेलखंड के किनारे अब भी बड़ी आबादी जिंदगी गुजारने को विवश है.

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