मिथिला का पारंपरिक त्योहार कोजागरा आज

सीतामढ़ी : गुरुवार को पूरे मिथिला क्षेत्र समेत जिले भर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर पारंपरिक कोजागरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. जिले के नवविवाहितों के घर इसकी पूरी तैयारी की गई है. गुरुवार की शाम मैथिल ब्राह्मण व कायस्थ समाज के नवविवाहितों के घर जश्न का माहौल रहेगा. घर में साले समेत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2017 3:31 AM

सीतामढ़ी : गुरुवार को पूरे मिथिला क्षेत्र समेत जिले भर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर पारंपरिक कोजागरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. जिले के नवविवाहितों के घर इसकी पूरी तैयारी की गई है. गुरुवार की शाम मैथिल ब्राह्मण व कायस्थ समाज के नवविवाहितों के घर जश्न का माहौल रहेगा. घर में साले समेत पूरा सगा-संबंधियों का आगमन होगा. वधु पक्ष के घरों से पान-मखान, फल, मिठाइयां, वर समेत पूरे परिवार के लिए वस्त्र व विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से बने पकवान आएगा.

पूरा समाज शाम होने का इंतजार करेगा. शाम ढ़लते ही उचित मुहूर्त पर ग्रामीणों व सगे-संबंधियों की मौजूदगी में वर अपने साले के साथ चांदी की थाल में चांदी के कौड़ी से कौड़ी-कौड़ी खेलेंगे. बड़े-बुजुर्ग वर को आशीष व उपाहार देंगे. बाद में समाज के लोगों के बीच पान, मखान व मिठाइयों का वितरण किया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन पान-मखान का सेवन करने से जीवन में सदैव लालिमा बनी रहती है. इस त्योहार को निष्ठा के साथ मनाने से मनुष्य का दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है.

लक्ष्मी माता की होती
है विशेष उपासना
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा अपनी पूर्ण 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है. सनातन शास्त्रों में शरद पूर्णिमा की रात को काफी महत्व दिया गया है. भारतीय संस्कृतियों में कई देवी-देवता हैं, जिनकी पूजा-अर्चना बहुत ही श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है. शरद ऋतु की शुरुआत आते ही शरद पूर्णिमा की रात के उस पहर का इंतजार होता है, जिसमें 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है. वक़्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल गया है लेकिन इस पर्व का इंतज़ार आज भी उसी तरह रहता है, जैसा सदियों से रहता था.
बताया जाता है कि शारदीय पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की विशेष उपासना करने से मनुष्य को धन-धान्य में वृद्धि होती है. साथ ही जीवन में खुशहाली आती है. इस दिन आचार्य पंडितों से श्रीसुक्त व कनकधारा का पाठ कराने से साधक का हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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