बच्चे की मौत पर हंगामा घटना. पेट दर्द की शिकायत पर भरती हुआ था बच्चा
सीतामढ़ी : पेट दर्द से परेशान बच्चे की इलाज के क्रम में मौत को लेकर शनिवार को परिजनों का गुस्सा भड़क गया.गुस्साये परिजन ने नगर के सदर अस्पताल के सामने स्थित डॉ नीलमणि के क्वींसलैंड हॉस्पीटल प्राइवेट लिमिटेड (वैष्णवी शिशु केयर) नामक क्लिनिक में हंगामा किया. मृत बच्चे की दादी सुकेश्वरी देवी ने डॉक्टर व […]
सीतामढ़ी : पेट दर्द से परेशान बच्चे की इलाज के क्रम में मौत को लेकर शनिवार को परिजनों का गुस्सा भड़क गया.गुस्साये परिजन ने नगर के सदर अस्पताल के सामने स्थित डॉ नीलमणि के क्वींसलैंड हॉस्पीटल प्राइवेट लिमिटेड (वैष्णवी शिशु केयर) नामक क्लिनिक में हंगामा किया. मृत बच्चे की दादी सुकेश्वरी देवी ने डॉक्टर व कंपाउंडर पर बच्चे को मारने का आरोप लगाया है. वहीं क्लिनिक प्रबंधन का कहना है कि बच्चे की तबीयत पहले से काफी खराब थी.
हंगामे की सूचना पर नगर थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर अनिल कुमार शर्मा, दारोगा संजय कुमार राय पैंथर मोबाइल के साथ पहुंच कर छानबीन की. इस दौरान क्लिनिक में मौजूद कर्मी फरार हो गये.
थानाध्यक्ष ने परिजन व डॉ नीलमणि से पूछताछ की है. थानाध्यक्ष ने बताया कि परिजन का बयान लिया जा रहा है, इसके बाद मामले की प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. मालूम हो कि फर्जी प्रमाण-पत्र का सामना कर रहे डॉ नीलमणि का उक्त क्लिनिक कई बार प्रशासन द्वारा सील किया जा चुका है. इसको लेकर नीलमणि के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज है.
मां-बाप का इकलौता पुत्र था तुलसी
मृतक तुलसी कुमार अपने मां-बाप का इकलौता पुत्र था. दादा और दादी उससे काफी स्नेह रखते थे. पोते की मौत पर दादी सुकेश्वरी देवी, मां जलसी देवी व पिता अगनी महतो का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजनों ने डॉक्टर व क्लिनिक में मौजूद कंपाउंडर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है.
क्या है पूरा मामला
सहियारा थाना क्षेत्र के मटियार कला गांव निवासी अगनी महतो के पुत्र तुलसी कुमार(आठ वर्ष) को पेट में दर्द की शिकायत थी. बच्चे की मां जलसी देवी व दादी सुकेश्वरी देवी इलाज के लिए उसे सदर अस्पताल पहुंचे थे. ओपीडी कतार में दिन के करीब 10 बजे एक महिला बिचौलिया जलसी देवी को बेहतर उपचार व जल्द ठीक होने की बात कह फंसा लिया और उसे लेकर उक्त निजी नर्सिंग होम में पहुंच गयी. सुकेश्वरी का आरोप है कि डॉक्टर व कंपाउंडर ने उससे 10 हजार रुपये लेकर भरती कर दिया. इस बीच और पैसे की मांग की जाने लगी. और पैसे देने में असमर्थता जताने पर इलाज से इनकार कर दिया. हालत खराब होने पर कंपाउंडर बच्चे के पेट को दबाने लगा, जिसके बाद उसकी मौत हो गयी.