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बिहार में सृजन-शौचालय के बाद हुआ तटबंध घोटाला, कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू

सीतामढ़ी : न्यायालय के आदेश पर जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर अंजनी कुमार सिंह समेत 72 अभियंताओं ने बागमती तटबंध, बेलसंड की जांच-पड़ताल की. अभियंताओं की टीम ने मंगलवार व बुधवार की अपराह्न तक जांच करने के बाद लौट गये. 3608 करोड़ की राशि से निर्माण होने के बाद भी बाढ़ के पानी […]

सीतामढ़ी : न्यायालय के आदेश पर जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर अंजनी कुमार सिंह समेत 72 अभियंताओं ने बागमती तटबंध, बेलसंड की जांच-पड़ताल की. अभियंताओं की टीम ने मंगलवार व बुधवार की अपराह्न तक जांच करने के बाद लौट गये. 3608 करोड़ की राशि से निर्माण होने के बाद भी बाढ़ के पानी के पानी के हल्के दबाव से तटबंध के टूट जाने के कारण मामला सुर्खियों में हैं. विस्थापित लोगों के अलावा बुद्धिजीवियों की निगाह जांच टीम के रिपोर्ट पर लगी हैं. लोगों को पूरी उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी, जिनके गड़बड़झाला के कारण हजारों लोग घर से बेघर होकर विस्थापित की जिंदगी गुजार रहे हैं.

इससे पूर्व जांच प्रतिवेदन के आधार पर जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख (मुख्यालय) अरुण कुमार ने 24 अक्तूबर 2017 को संवेदक एचएससीएल के कार्यकारी एजेंसी अवंतिका जीएचआरए, हैदराबाग को काली सूची में डाल दिया था. उन्होंने अपने आदेश पत्र में स्पष्ट तौर पर कड़ी टिप्पणी करते हुए बताया था कि कार्यकारी एजेंसी अवंतिका द्वारा निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध वांछित प्रगति प्राप्त करने हेतु कोई तत्परता नहीं दिखायी गयी. इसके अलावा उक्त लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समुचित मशीनरी एवं मानव संसाधन की तैनाती भी कार्यस्थल पर नही गयी. इस कारण कार्य में अभिरुचि नहीं लिये जाने, कार्यों के कार्यान्वयन में लापरवाही बरतने, विभागीय निर्देशों की अवहेलना करने व बार-बार कहने के बाद भी कार्यकलाप में सुधार नहीं लाया गया. जो बिहार ठेकेदारी निबंधन नियमावली में प्रावधानित कदाचार की श्रेणी में आता हैं.

सीतामढ़ी के सामाजिक कार्यकर्ता शिवेश भारती ने लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह के मार्गदर्शन में पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर किया था. करोड़ों के घोटाला का मामला देखते हुए पटना हाइकोर्ट ने उच्चस्तरीय जांच कराये जाने का आदेश दिया था. जनहित याचिका में एचएससीएल कंपनी पर तटबंध निर्माण कार्य में अनियमितता बरतते हुए तकरीबन 1000 (एक हजार )करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया गया था. जिसका स्पष्ट उदाहरण बार-बार तटबंध का टूटना बताया गया. बताया गया था कि तटबंध निर्माण कार्य की निविदा वर्ष 2002 मे प्रकाशित किया गया था. जिसका प्राक्कलन 792 करोड़ रुपये का बनाया गया था, लेकिन पुन: 2012 में उसी निर्माण कार्य की निविदा दूसरी दफा प्रकाशित की गयी. जिसको पुर्न निवादा (रिएसीमेच )कर उसकी लागत 36 सौ 8 करोड़ कर दिया गया. शिकायतकर्ता श्री भारती ने पूरे मामले की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की थी. अब जांच टीम में जल संसाधन विभाग के अधिकारी के शामिल होने के बाद श्री भारती संशय में है. उनका कहना है कि उनके आरोप का स्पष्ट उदाहरण वर्ष 2017 में सीतामढ़ी में बाढ़ में पांच जगहो पर तटबंध का टूटना हैं.

जिले में बागमती हीं नहीं अधवारा समूह की नदियों पर भी बांध निर्माण में व्यापक पैमाने पर लूट होती रहीं है. हाल हीं में बांध निर्माण के लिए करोड़ों की राशि की निकासी कर फर्जीवाड़ा के मामले में बागमती प्रमंडल संख्या एक के कार्यपालक अभियंता भीम शंकर लाल को पुलिस ने जेल भेजा है. इसके पूर्व दो कनीय अभियंताओं को जेल भेजा गया था. पिछले साल दिसंबर में बांध निर्माता एजेंसी के अधिकारी व विभागीय अभियंता समेत 17 के खिलाफ डुमरा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. जुलाई माह में सोन बरसा में बांध निर्माण में लगी एजेंसी के खिलाफ निर्माण में अनियमितता को लेकर चार प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. भाजपा नेता वैद्यनाथ प्रसाद ने पूरे मामले को लेकर जब गंभीरता दिखाई तब जाकर निर्माण कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई. अभी हाल में रून्नीसैदपुर व बैरगनिया में बाढ़ में तटबंध टूटने के बाद बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता रामविनय सिन्हा समेत कई को निलंबित कर दिया गया था.

क्या कहते हैं मुख्य अभियंता

मुख्य अभियंता अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि दो दिन तक तटबंध की जांच सभी बिंदुओं पर की गयी हैं. जांच प्रतिवेदन तैयार करने के बाद न्यायालय में समर्पित किया जायेगा. जहां न्यायोचित फैसला होगा.

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