परसौनी अस्पताल में ढिबरी की रोशनी में कराया जा रहा प्रसव

बदहाल चिकित्सा सेवा. डीजल के अभाव में चार दिनों से बंद है जेनेरेटर अस्पताल प्रबंधन खामोश प्रशासनिक संवेदनहीनता का नमूना है यह ताजा मामला यहां के किसी चिकित्सक को नहीं है वित्तीय अधिकार पीएचसी प्रभारी वेतन के पैसे से खरीदते हैं डीजल परसौनी (सीतामढ़ी) : स्थानीय पीएचसी में पिछले चार-पांच दिनों से ढिबरी की रोशनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2018 1:53 AM

बदहाल चिकित्सा सेवा. डीजल के अभाव में चार दिनों से बंद है जेनेरेटर

अस्पताल प्रबंधन खामोश
प्रशासनिक संवेदनहीनता का नमूना है यह ताजा मामला
यहां के किसी चिकित्सक को नहीं है वित्तीय अधिकार
पीएचसी प्रभारी वेतन के पैसे से खरीदते हैं डीजल
परसौनी (सीतामढ़ी) : स्थानीय पीएचसी में पिछले चार-पांच दिनों से ढिबरी की रोशनी में प्रसव कराया जा रहा है. यह सुनने में भले ही कुछ अटपटा लग रहा होगा, पर सच्चाई है. ऐसी बात नहीं कि यहां जेनेरेटर नहीं है. जेनेरेटर तो है, पर उसे चलाने के लिए डीजल नहीं है.
कल तक पीएचसी प्रभारी डॉ सत्यप्रिय झा अपने स्तर से डीजल की व्यवस्था करते थे और फिर जेनेरेटर की रोशनी में प्रसव व अन्य कार्य करते थे. अब उनकी हिम्मत हार गयी है. वे वेतन के पैसे से डीजल की खरीद करने में नहीं सक रहे है.
नतीजतन, पिछले चार – पांच दिनों से जेनेरेटर नहीं चल रहा है और चिकित्सकों को ढिबरी की रोशनी में ही प्रसव कराना पड़ रहा है. खास बात यह कि मामले की खबर रहने के बावजूद वरीय अधिकारी खामोश है. दिलचस्प यह कि इस बाबत पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.
अब जाने पूरा मामला: इस पीएचसी में जेनेरेटर के लिए डीजल की आपूर्ति का जिम्मा आउटसोर्सिंग एजेंसी आइएफएफ को मिला था. उक्त एजेंसी का स्वास्थ्य विभाग के यहां डीजल मद का काफी पैसा बकाया है. भुगतान नहीं होने पर 31 मई 17 के बाद एजेंसी ने डीजल की आपूर्ति बंद कर दिया. रोशनी के अभाव में प्रसव व अन्य कार्य प्रभावित होने लगा. तब प्रभारी डॉ झा की संवेदना जगी और वेतन के पैसे से डीजल का उपाय कर जेनेरेटर चला काम करते रहे. जेब से करीब 25 हजार खर्च करने के बाद उनकी हिम्मत जवाब दे गयी. अब जेनेरेटर सेवा पूरी तरह ठप है.
इसी कारण ढिबरी की रोशनी में ही प्रसव करना पड़ रहा है. सोमवार की रात प्रखंड के क्रमशः कठौर, गिसारा, धोधनी व परशुरामपुर गांव की ममता देवी, विभा देवी, कविता देवी, हीरा देवी व सुलेखा देवी का प्रसव ढ़िबरी की रोशनी में ही कराया गया. हद तो यह कि यहां के किसी चिकित्सक को वित्तीय प्रभार नहीं मिला हुआ है. ताकि किसी मद से राशि की निकासी कर डीजल की खरीदारी की जा सके. डॉ अविनाश कुमार को डीडीओ का प्रभार मिला था, पर उनके लंबी छुट्टी में चले जाने के बाद से कोई प्रभार में नहीं है.
खतरे में रहती है पीड़िता की जान
पीएचसी प्रभारी डॉ झा सीधे तौर पर मानते है कि पर्याप्त रोशनी के अभाव में चूक होने की संभावना बनी रहती है और प्रसव पीड़िता की जान पर भी खतरा बना रहता है. यानी प्रसव के दौरान प्लेसेंटा के रुकने की आशंका रहती है. ऐसी स्थिति में अधिक ब्लीडिंग होने से मरीज की जान पर खतरा उत्पन्न हो जाता है. संयोग है कि अबतक किसी मरीज के साथ ऐसी घटना नहीं घटी है. बताया कि लाइट के अभाव में साप्ताहिक टीकाकरण समेत अन्य कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
बोले पीएचसी प्रभारी
पीएचसी प्रभारी डाॅ सत्यप्रिय झा ने बताया कि रोशनी के अभाव में काफी परेशानी होती है. वे इस समस्या से डीएम व सीएस को लिखित तौर पर अवगत करा चुके है. अबतक उनकी नहीं सुनी गयी है. वेतन 44 हजार मिलता है. डीजल पर करीब 25 हजार रुपये खर्च कर चुके है.
बोले सिविल सर्जन
डाॅ बिंदेश्वर शर्मा का कहना है कि इस बाबत पीएचसी प्रभारी से बात करें.

Next Article

Exit mobile version