10 की जगह 15 मई को होगी मतगणना
सुरसंड : राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से स्थानीय नगर पंचायत चुनाव की तिथि में की गयी पांच दिनों की बढ़ोतरी से प्रत्याशियों का खर्च बढ़ गया है. चुनाव की तिथि में की गयी बदलाव कुछ प्रत्याशियों के लिए वरदान तो कुछ के लिए अभिशाप साबित हो रहा है. प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा मतदाताओं को […]
सुरसंड : राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से स्थानीय नगर पंचायत चुनाव की तिथि में की गयी पांच दिनों की बढ़ोतरी से प्रत्याशियों का खर्च बढ़ गया है. चुनाव की तिथि में की गयी बदलाव कुछ प्रत्याशियों के लिए वरदान तो कुछ के लिए अभिशाप साबित हो रहा है. प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.
पहली बार हो रहे नगर पंचायत के चुनाव में जातीय समीकरण का भी एक अपना अलग महत्व देखा जा रहा है. कई वार्डों में एक ही जाति के दो-दो प्रत्याशी के चुनावी समर में होने से कुछ समर्थक किसी खास प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का दबाव बना रहे हैं तो कुछ समर्थकों द्वारा जाति व समाज से अलग कर दिए जाने की धमकी भी दी जा रही है. इस प्रकार की धमकी से मतदाताओं में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. बावजूद मतदाता गोपनीयता बरतते हुए अपना पत्ता खोलने से परहेज कर रहे हैं. हालांकि सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार प्रचार-प्रसार में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. यहां बता दें कि पूर्व में नगर पंचायत चुनाव के लिए आठ मई व मतगणना के लिए दस मई की तिथि निर्धारित की गयी थी, पर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तिथियों में बदलाव करते हुए 13 मई को मतदान व 15 मई को मतगणना की तिथि निर्धारित कर दी गयी है.
किंग मेकरों की प्रतिष्ठा दांव पर
नगर पंचायत के कुछ वार्डों में आरक्षण की बाध्यता के चलते उम्मीदवारी से अपने को अलग रखते हुए किंग मेकर की भूमिका निभा रहे कई तथाकथित लोगों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है. ऐसे लोग कई उम्मीदवारों को वार्ड पार्षद की जीत से लेकर नगर अध्यक्ष पद की दावेदारी तक के लिए अपना खजाना खोल रखा है. विरोधी उम्मीदवार को पराजित कर अपनों को जीत दिलाने के लिए उनके द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए उम्मीदवारों के नामांकन से लेकर मतगणना तक का सारा खर्च का बीड़ा भी उनके द्वारा उठाया जा चुका है, पर मतदाता उनके इस चाल को समझ गये हैं व उन्हें सबक सिखाने की तैयारी में है. यदि ऐसा हुआ तो किंग मेकर की भूमिका निभा रहे तथाकथित लोगों के मंसूबे पर पानी फिरना तय माना जा रहा है.