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गर्भवती को मिलने वाली सुविधाएं मुफ्तb

समस्तीपुर : जननी एवं शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सरकार ने गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली सभी स्वास्थ्य सुविधाएं नि:शुल्क कर दी है़ं उन्हें गर्भावस्था से प्रसव बाद 42 दिनों तक सभी प्रकार की सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी़ इतना ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में निबंधन शुल्क के रूप में ली जाने वाली राशि (दो रुपये) से […]

समस्तीपुर : जननी एवं शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सरकार ने गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली सभी स्वास्थ्य सुविधाएं नि:शुल्क कर दी है़ं उन्हें गर्भावस्था से प्रसव बाद 42 दिनों तक सभी प्रकार की सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी़ इतना ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में निबंधन शुल्क के रूप में ली जाने वाली राशि (दो रुपये) से भी उन्हें मुक्त कर दिया गया है़
इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति ने 11 अप्रैल 2018 को ही सभी जिलों को पत्र भेज दिया था़ राज्य स्वास्थ्य समिति के इस पत्र के आलोक में सिविल सर्जन डॉ अवध कुमार ने सदर अस्पताल समेत सभी अनुमंडलीय, रेफरल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के उपाधीक्षकों एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश दिया है़ साथ ही इस व्यवस्था को सुनिश्चित कराने का आदेश दिया गया है़ जानकारी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरी परामर्श के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को निबंधन शुल्क नहीं लगेगा़ संस्थागत प्रसव एवं सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान लगने वाली सभी दवाएं एवं सामग्री नि:शुल्क मिलेंगी, पैथोलॉजिकल जांच, भोजन, एंबुलेंस के साथ-साथ जरूरत पर ब्लड भी नि:शुल्क मुहैया करायी जायेगी़ संस्थागत प्रसव होने पर तीन दिन एवं सिजेरियन ऑपरेशन होने पर सात दिनों तक नि:शुल्क भोजन भी उपलब्ध कराया जायेगा़ साथ ही प्रसव के उपरांत इनके नवजात बच्चों को भी 42 दिनों तक सभी स्वास्थ्य सुविधा मुफ्त में ही उपलब्ध करायी जायेगी़
वसूला जा रहा निबंधन शुल्क. गर्भवती महिलाओं के लिए सभी सुविधाएं नि:शुल्क किये जाने के
निर्देश के बाद भी कुछ स्थानों पर निबंधन शुल्क की राशि वसूली जा
रही है़ जानकार सूत्रों के अनुसार, मरीज के परिजन जानकारी के अभाव में निबंधन शुल्क दे रहे हैं, जबकि सिविल सर्जन ने इस पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है़
इमरजेंसी वार्ड में कर्मियों की कमी
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य कर्मियों के कमी के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है़ खासकर रात्रि में मरीजों की संख्या बढ़ जाने पर विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है़ रविवार की रात भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला़ जब वाहन दुर्घटना में जख्मी हुए कई मरीजों को देर रात इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था, तो उस समय मात्र एक स्वास्थ्यकर्मी एवं एक चिकित्सक ही इमरजेंसी वार्ड में तैनात थे़ जख्मी मरीजों को मरहम पट्टी करने के लिए सदर अस्पताल के सफाईकर्मी एवं एंबुलेंस चालकों को बुलाया गया.
स्ट्रेचर नहीं देने के मामले में स्पष्टीकरण
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एक मरीज को स्ट्रेचर नहीं दिये जाने के मामले को सिविल सर्जन डॉ अवध कुमार ने गंभीरता से लिया है़ इसको लेकर फार्मासिस्ट अरविंद चौधरी, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी राजेश कुमार एवं ए ग्रेड नर्स निभा कुमारी से स्पष्टीकरण पूछा गया है़ बता दें कि शुक्रवार की सुबह उजियारपुर थाना क्षेत्र के सलेमपुर निवासी विक्रम कुमार ने अपनी 85 वर्षीया दादी बच्ची देवी को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था़ इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक डॉ गिरिश कुमार ने मरीज को जांचोपरांत ब्लड जांच कराने को कहा़ मरीज के परिजन जल्दीबाजी में बिना स्ट्रेचर के ही मरीज को गोद में उठाकर जांच कराने ले गये थे़

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