सीतामढ़ी में उपमुख्यमंत्री को दिखाये गये काले झंडे, स्याही फेंकी

पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को सीतामढ़ी में विरोध का सामना करना पड़ा है. उपमुख्यमंत्री को गरीब जनक्रान्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज सीतामढ़ी के कोआहि चौक पर आर्थिक आधार पर आरक्षण और समान शिक्षा प्रणाली की मांग को लेकर कला झंडा दिखाया और स्याही फेंक कर विरोध किया. सुशील मोदी का काफिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2018 4:01 PM

पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को सीतामढ़ी में विरोध का सामना करना पड़ा है. उपमुख्यमंत्री को गरीब जनक्रान्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज सीतामढ़ी के कोआहि चौक पर आर्थिक आधार पर आरक्षण और समान शिक्षा प्रणाली की मांग को लेकर कला झंडा दिखाया और स्याही फेंक कर विरोध किया. सुशील मोदी का काफिला गुजरते रहा और सड़क के किनारे खड़े सवर्ण समुदाय के लोग सुशील मोदी के विरोध में नारा लगाते रहे. उपमुख्यमंत्री की कार पर स्याही भी फेंकी गयी. विरोध प्रगट कर रहे लोग एससी-एसटी एक्ट को वापस लेने की मांग कर रहे थे. हालांकि, इस दौरान उपमुख्यमंत्री का काफिला रुका नहीं और तेजी से अपने गंतव्य की ओर निकल गया.

दरअसल, मोदी शहर में आयोजित युवा सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे इस दौरान विरोध-प्रदर्शन किया गया. इस सम्मेलन में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी शिरकत करना है. गौरतलब हो कि सीतामढ़ी के पहले भी सुशील मोदी को बिहार के ही दरभंगा में भी विरोध का सामना करना पड़ा था. काला झंडा दिखाने के बाद सीतामढ़ी में सुशील मोदी वापस जाओ के नारे लगे. लोग विरोध के दौरान एससी-एसटी एक्ट को वापस लेने की मांग कर रहे थे. ज्ञात हो कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, मंत्री अश्विनी चौबे, सांसद मनोज तिवारी, बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, बिहार सरकार के मंत्री ललन सिंह और विजय सिन्हा समेत कई नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ा है.

विदित हो कि 6 सितंबर को सवर्ण सेना ने एससी-एसटी एक्ट के विरोध में और गरीब सवर्णों के आरक्षण की मांग को लेकर भारत बंद का आयोजन किया था. बंद के दौरान में पटना में पुलिस ने सवर्ण प्रदर्शनकारियों की बेरहमी से पिटाई की थी. बीजेपी के नेताओं ने सवर्ण आरक्षण पर चुप्पी साध ली है. सवर्ण समुदाय को भाजपा का समर्पित वोटर माना जाता है. इसके बाद भी भाजपा इस समुदाय की अनदेखी कर रही है. उपेक्षा की वजह से सवर्ण समुदाय नाराज है और वह भाजपा का विरोध कर रहा है.

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