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सीतामढ़ी : कृपलानी के खिलाफ कांग्रेस ने नहीं उतारे उम्मीदवार
सीतामढ़ी : वो आजादी के बाद का दौर था. आचार्य जेबी कृपलानी सीतामढ़ी लोकसभा सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. उन दिनों कांग्रेस विरोध की जो धूरि थी उसकी अगुवायी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ही कर रही थी. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने आचार्य जेबी कृपलानी को सीतामढ़ी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन, […]
सीतामढ़ी : वो आजादी के बाद का दौर था. आचार्य जेबी कृपलानी सीतामढ़ी लोकसभा सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. उन दिनों कांग्रेस विरोध की जो धूरि थी उसकी अगुवायी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ही कर रही थी. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने आचार्य जेबी कृपलानी को सीतामढ़ी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया.
लेकिन, आचार्य के राजनीतिक कद और संसद में उनकी जरूरत समझते हुए कांग्रेस पार्टी ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं दिया. कृपलानी की जीत हुई और कुल पड़े मतों का करीब साठ फीसदी वोट उन्हें हासिल हुए.
दरअसल, 1947 में देश को जिस साल आजादी मिली उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष आचार्य जेबी कृपलानी हुआ करते थे. आचार्य कृपलानी का बिहार से गहरा नाता रहा था. महात्मा गांधी जब चंपारण के लिए 1917 में मुजफ्फरपुर आये थे तो कृपलानी की उनसे पहली भेंट यहीं हुई थी. कृपलानी के कारण सीतामढ़ी, मधेपुरा, भागलपुर, पूर्णिया और बिहार देश भर में चर्चित रहा.
जात-पांत व धर्म से ऊपर उठ किया मतदान
तिरहुत प्रमंडल के सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र से आचार्य कृपलानी निर्दलीय प्रत्याशी बुझावन साह को हरा कर विजयी हुए थे. 20 वर्ष तक मुखिया रहे सामाजिक कार्यकर्ता रामस्नेही पांडेय बताते हैं कि जातीय आधार पर चुनाव के लिए बदनाम बिहार के मतदाता उस वक्त देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होने के कारण देशभक्त व विद्वान प्रत्याशियों को अपना मत देते थे.
दूसरे प्रदेशों के कई अन्य प्रत्याशियों की तरह वहां के मतदाताओं ने भी जात-पांत, धर्म व स्थानीय होने की भावना से ऊपर उठकर कृपलानी को सांसद बनाया. चेहरा देखा, संभावनाएं समझी और चुन लिया.
…विपक्ष भी विद्वान प्रत्याशियों को संसद में आने के लिए खुला रास्ता छोड़ देती थी. यही कारण था कि कृपलानी की जीत सुनिश्चित कराने के लिए कांग्रेस ने किसी उम्मीदवार को खड़ा नहीं किया था.
रोचक तथ्य
पहली संसद के सदस्य
आचार्य कृपलानी पहली संसद के भी सदस्य रहे थे. 1952 के आम चुनाव में मधेपुरा लोकसभा भागलपुर सह पूर्णियां संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. यह दो सदस्यीय क्षेत्र था और यहां से दो प्रतिनिधि चुने जाते थे. एक प्रतिनिधि सामान्य से तो दूसरा सुरक्षित से. प्रथम आम चुनाव में यहां से कांग्रेस के अनूपलाल मेहता (सामान्य) तथा सोशलिस्ट पार्टी के किराय मुसहर (सुरक्षित) निर्चाचित हुए थे.
मेहता जी पर कोई आरोप होने के कारण अदालत द्वारा चुनाव रद्द कर दिया गया. फिर 1955 में उपचुनाव हुए जिसमें किसान मजदूर प्रजा पार्टी के आचार्य जेबी कृपलानी (सामान्य से ) और सोशलिस्ट पार्टी के किराय मुसहर (सुरक्षित से) निर्वाचित हुए. इसके बाद भी आचार्य कृपलानी 1963 में यूपी के अमरोहा लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने गये.
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