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लोकसभा चुनाव : सीता की प्राकट्य स्थली पुनौरा धाम उपेक्षा का शिकार

पुनौराधाम / सीतामढ़ी : राम जन्मभूमि पर लंबे समय से चर्चा जारी है, लेकिन बिहार के सीतामढ़ी जिले में पुण्यरैन या पुनौरा स्थित सीता की प्राकट्य भूमि आज भी उपेक्षा का शिकार है. उत्तर बिहार और नेपाल की सीमा से सटे सीतामढ़ी में स्थित सीता प्राकट्य भूमि के महंत कौशल किशोर दास बताते हैं कि […]

पुनौराधाम / सीतामढ़ी : राम जन्मभूमि पर लंबे समय से चर्चा जारी है, लेकिन बिहार के सीतामढ़ी जिले में पुण्यरैन या पुनौरा स्थित सीता की प्राकट्य भूमि आज भी उपेक्षा का शिकार है. उत्तर बिहार और नेपाल की सीमा से सटे सीतामढ़ी में स्थित सीता प्राकट्य भूमि के महंत कौशल किशोर दास बताते हैं कि 14 बीघा से ज्यादा इलाके में फैले इस स्थल की स्थिति ठीक नहीं है. दान से जो मिलता है, उसी से भोग लगता रहा है. किसी को मंदिर की चिंता नहीं है.

सदियों से मान्यता चली आ रही है कि मिथिला के राजा जनक ने भयंकर सूखे की चपेट में आए राज्य में वर्षा के लिए जब हल चलाया, तो सीतामढ़ी के निकट पुनौरा की धरती से सीता का जन्म हुआ. वाल्मीकि रामायण में भी चर्चा की गयी है कि मिथिला में सीता का जन्म हुआ था. महंत ने बताया कि मंदिर की आय तीन हिस्सों में बंटती है. पर्यटक भवन और यात्री निवास की आय का सिर्फ 10% ही मंदिर को मिलता है. 40% हिस्सा मंदिर से जुड़े एक ट्रस्ट को और 50% नजारथ (कलेक्ट्रेट) में जमा होता है. पर्यटन और यात्री भवन दोनों मंदिर की जमीन पर बने हैं. दोनों भवनों का प्रबंधन सरकारी स्तर पर होता है. दास ने कहा कि इतना महत्वपूर्ण स्थल होने के बावजूद यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया है, जिसके कारण यहां काफी कम संख्या में पर्यटक आते हैं.

राज्य सरकार के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुनौरा धाम के विकास के लिये एक डीपीआर को मंजूरी दी गयी है और इसे 2020 तक पूरा किये जाने की उम्मीद है. इसके तहत दो बड़े आकर्षक गेट, दो आधुनिक गेस्ट हाउस, कथा हॉल, कुंड का सौंदर्यीकरण, लाइट एंड साउंड एवं मंदिर तक डबल लेन सड़क, परिक्रम पथ आदि का निर्माण कराया जायेगा. पुनौरा धाम में गेस्ट हाऊस एवं कथा हॉल के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है और इसे तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है.

भाजपा उपाध्यक्ष प्रभात झा का कहना है कि इसे विकसित करने का आग्रह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वीकार कर लिया है और काम आगे बढ़ाया जा रहा है. लेकिन, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने अप्रैल 2017 में राज्यसभा में प्रभात झा द्वारा किये गये एक सवाल के जवाब में बताया था कि सीतामढ़ी बस आस्था और विश्वास का केंद्र है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वहां ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया है, जिसकी वजह से सीतामढ़ी को सीता की जन्मस्थली माना जाये. प्रभात झा सीतामढ़ी के मूल निवासी है.

पुनौरा धाम दो ग्राम पंचायत से लगा हुआ है और यहां से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर सीतामढ़ी शहर है. पर्यटन की असीम संभावनाओं वाला यह स्थान आज भी उपेक्षित है. राम जानकी पथ की भी योजना बनी है. इसके तहत अयोध्या से गोरखपुर, गोपालगंज, चकिया, शिवहर, सीतामढ़ी होते हुए भिट्‌ठा मोड़ जनकपुर तक सड़क बननी है. पुनौरा धाम में जानकी नवमी के अवसर पर मई 2017 को बिहार के तत्कालीन राज्यपाल के रूप में रामनाथ कोविंद का आगमन हुआ था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि सीता के बिना राम का अस्तित्व नहीं है. पिछले वर्ष के अंत में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी भव्य सीता मंदिर के निर्माण की बात कही थी. मंदिर के पास चाय की दुकान चलानेवाले रामाशीष साव कहते हैं कि यहां तो सभी समुदाय के लोगों का कहना है, जो मंदिर का विकास करेगा, वही अब राज करेगा. रामायण काल से जुड़े स्थलों को विकसित करने के लिये ‘रामायण सर्किट’ योजना को भी केंद्र सरकार से मंजूरी मिली है और जिन रास्तों पर भगवान राम चले थे, उन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है.

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