बगैर लाइसेंस शहर में चल रहे सैकड़ों व्यावसायिक प्रतिष्ठान
अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने अब तक नहीं दिखाई है दिलचस्पी सीतामढ़ी : बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा-342 के साथ पठित धारा 129 (ख) एवं (ग) तथा धारा-421 का शहर में धज्जियां उड़ाही जा रही है. लेकिन, नगर परिषद प्रशासन मौन धारण की हुई है. परिणामस्वरूप, नगर परिषद को प्रतिवर्ष लाखों रुपये राजस्व का नुकसान […]
अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने अब तक नहीं दिखाई है दिलचस्पी
सीतामढ़ी : बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा-342 के साथ पठित धारा 129 (ख) एवं (ग) तथा धारा-421 का शहर में धज्जियां उड़ाही जा रही है. लेकिन, नगर परिषद प्रशासन मौन धारण की हुई है. परिणामस्वरूप, नगर परिषद को प्रतिवर्ष लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है.
शहर की हजारों छोटी-बड़ी दुकानें व व्यावसायिक प्रतिष्ठान दशकों से नगरपालिका अधिनियम के विरुद्ध बगैर व्यापार अनुज्ञप्ति के ही चल रही है, लेकिन नप प्रशासन इस दिशा में अब तक कोई कारगर कदम उठाने से परहेज करता रहा है. कर वसूली की परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है.
शास्त्रों में भी इसका वर्णन मिलता है कि शासन-प्रशासन चलाने एवं राष्ट्र के विकास के लिए कर देना जरूरी होता है. इन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से आने वाले राजस्व से नगर का ही विकास होता और वह विकास आम अवाम समेत व्यवसायियों तक भी पहुंचता. लेकिन, इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. अब बगैर अनुज्ञप्ति वाले दुकानदारों पर सख्ती बरतने की तैयारी की जा रही है.
नोटिस के बाद भी 200 व्यवसायियों ने ही दिखायी दिलचस्पी : हालांकि, गत महीने नगर कार्यपालक पदाधिकारी को इस ओर ध्यान गया. तब व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का सर्वे कराने व उन्हें नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू की गयी. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के संचालकों को नोटिस भेज कर एक सप्ताह के अंदर व्यापार अनुज्ञप्ति लेने की चेतावनी दी गयी थी.
लेकिन, अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के संचालकों ने अनुज्ञप्ति लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नोटिस देने के करीब दो माह बीत जाने के बाद भी अब तक करीब 200 व्यवसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा ही अनुज्ञप्ति ली गयी है.