सोलर लाइट प्रकरण में बीडीओ से रिपोर्ट तलब
सीतामढ़ी/परिहार : सोलर लाइट प्रकरण एक बार फिर सामने आया है. जिले का यह एक ऐसा मामला रहा है, जिसमें जिले के अधिकांश मुखिया फंसे थे. यह बात अलग है कि येन-केन-प्रकारेण मामला ठंडा हो गया. अब विधान पार्षद नरेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा विधान परिषद में सोलर लाइट से संबंधित उठाये गये मामले के आलोक […]
सीतामढ़ी/परिहार : सोलर लाइट प्रकरण एक बार फिर सामने आया है. जिले का यह एक ऐसा मामला रहा है, जिसमें जिले के अधिकांश मुखिया फंसे थे. यह बात अलग है कि येन-केन-प्रकारेण मामला ठंडा हो गया. अब विधान पार्षद नरेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा विधान परिषद में सोलर लाइट से संबंधित उठाये गये मामले के आलोक में सरकार के स्तर से जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गयी है. जिला प्रशासन ने सभी बीडीओ से रिपोर्ट तलब किया है.
* क्या है पूरा मामला
विधान पार्षद श्री सिंह ने विधान परिषद में पंचायती राज मंत्री से यह सवाल किया, क्या यह सही है कि सोलर लाइट की खरीद में गड़बड़ी की गयी है? क्या सोलर लाइट में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है? इसी पर सरकार ने रिपोर्ट मांगा है. इधर, लोगों की नजर अब जिले के सभी बीडीओ के रिपोर्ट पर होगी. क्योंकि यह मामला काफी चर्चित रहा था, तब जब जिले में बतौर पुलिस कप्तान राकेश राठी मौजूद थे.
श्री राठी जिले के उस दौरान के मुखियाओं व पंचायत सचिवों के लिए खौफ बन गये थे. यह प्रकरण सामने आता हीं हर को वह मंजर याद आता है, जब एक तरह से मुखियाओं व पंचायत सचिवों की परेड हुई थी. यानी पुलिस लाइन में आरोपित मुखिया व पंचायत सचिवों से सोलर लाइट की खरीद की बाबत सवाल-दर-सवाल पूछे गये थे.
श्री राठी को अधिकांश सवालों का माकूल जवाब नहीं मिल सका था. सैकड़ों सोलर लाइट जब्त किये गये थे. कई मुखिया गिरफ्तार किये गये थे. मामले की जांच में तत्कालीन पुलिस कप्तान श्री राठी ने पुलिस पदाधिकारियों की एक फौज ही लगा दी थी. येन-केन-प्रकारेण मामला ठंडा पड़ गया. हालांकि सोलर लाइट प्रकरण की आग अभी बुझी नहीं है.
* क्या मिली थी गड़बड़ी
गौरतलब है कि अधिकांश पंचायतों द्वारा सोलर लाइट की खरीद से संबंधित सौंपे गये विपत्र फर्जी पाये गये थे. टाटा-बीपी कंपनी से सोलर लाइट की खरीद करनी थी, लेकिन पुलिस को जो विपत्र सौंपे गये थे उस पर कंपनी का नाम टी-बीपी लिखा हुआ था. जिला प्रशासन ने सोलर लाइट का दर 28,875 रुपये तय कर दिया था, लेकिन पंचायतों में 34 हजार से 46,000 रुपये तक में सोलर खरीद की गयी थी. पुलिस की जांच में यह सामने आया था कि 265 पंचायतों में 12 वीं वित्त एवं पिछड़ा क्षेत्र अनुदान की राशि से सोलर की खरीद की गयी थी. खास बात यह कि सोलर पर विक्रेताओं ने वैट की कटौती कर ली, लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं किया.
कटौती की गयी वैट की राशि करीब 80 लाख हुई थी. जांच में आपूर्तिकर्ताओं के टीन नंबर फर्जी पाये गये थे. इस मामले में 28 फरवरी 11 को कोर्ट से 228 मुखियाओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. बहरहाल, अब देखना है कि सोलर लाइट घोटाले की बाबत कौन बीडीओ किस तरह का रिपोर्ट देते है. अगर रिपोर्ट में सोलर की खरीद में गड़बड़ी का उल्लेख किया गया तो फिर आरोपित मुखियाओं की मुश्किलें बढ़ जायेगी.