स्वीकारोक्ति भी है साक्ष्य

सीतामढ़ी : अनुसंधान में गुणात्मक सुधार के लिए रविवार को आरक्षी केंद्र स्थित आनंद भवन में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.कार्यशाला का उद्घाटन एसपी नवल किशोर सिंह व लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यशाला में जिले के अधिकांश अनुसंधानकर्ता मौजूद थे. कार्यशाला को लोक अभियोजक श्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2014 10:44 AM

सीतामढ़ी : अनुसंधान में गुणात्मक सुधार के लिए रविवार को आरक्षी केंद्र स्थित आनंद भवन में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.कार्यशाला का उद्घाटन एसपी नवल किशोर सिंह व लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यशाला में जिले के अधिकांश अनुसंधानकर्ता मौजूद थे.

कार्यशाला को लोक अभियोजक श्री सिंह के अलावा अपर लोक अभियोजक का नरेंद्र प्रसाद सिन्हा व अधिवक्ता अमित झा ने संबोधित किया.

कार्रवाई की गहन जानकारी

कार्यशाला में अनुसंधान के हर बिंदु पर प्रकाश डाला गया.

दंड प्रक्रिया संहिता 154 से धारा 173 के बीच होनेवाली सभी कार्रवाई के संबंध में अनुसंधानकर्ताओं को गहन जानकारी दी गयी. अनुसंधानकर्ताओं को बताया गया कि प्रदत व्यक्ति के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-100 आर्म्स एक्ट के लिए 25 व 26 के साथ धारा 35 के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया. बताया गया कि आर्म्स एक्ट की धारा शस्त्र बरामद होने वाले व्यक्ति के साथ-साथ अगर उसके साथ रहने वाले व्यक्ति को भी इसकी जानकारी है तो वह भी जवाबदेह है. इसी प्रकार अगर अपराध के बाद अभियुक्त द्वारा आम लोगों के समक्ष की गयी स्वीकारोक्ति बयान भी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है. स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर पुलिस द्वारा की गयी बरामगी भी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है.

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