माओवादी हमले से इलाके में दहशत

तरियानी : थाना क्षेत्र के विशंभपुर गांव के पास नक्सलियों द्वारा पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूरों का शेड एवं सीमेंट गोदाम फूंक दिये जाने से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी है. वर्ष 2013 के बाद नक्सली घटनाओं पर विराम सा लग गया था. किंतु इस घटना ने जहां पुलिस के निंद उड़ा दी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2015 2:12 AM
तरियानी : थाना क्षेत्र के विशंभपुर गांव के पास नक्सलियों द्वारा पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूरों का शेड एवं सीमेंट गोदाम फूंक दिये जाने से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी है. वर्ष 2013 के बाद नक्सली घटनाओं पर विराम सा लग गया था. किंतु इस घटना ने जहां पुलिस के निंद उड़ा दी है. वहीं आम लोगों में दहशत है.
वर्ष 2001 के पूर्व जिले में नक्सली की कोई पहचान नहीं थी. किंतु 24 जून 2001 को नक्सलीयों ने पहली बार पिपराही थाना क्षेत्र के देकुली पुलिस पिकेट पर हमला बोलकर पुलिस की राइफल लूट ली थी. उसके बाद जिले में माओवादी घटनाओं का क्रम शुरू हुआ. माओवादियों के पांव पसरते गये. जून 2001 के बाद जिले का दायरा एवं सीमावर्ती क्षेत्र माओवादियों के सेल्टर एक्शन एवं ट्रेनिंग का केंद्र बन गया.
तीन मार्च 2003 को नक्सलियों ने पुरनहिया के दोस्तीयां गांव निवासी नवल राय के घर पर बम विस्फोट किया.एक जून 2008 को माओवादियों ने तरियानी थाना क्षेत्र के बेलहियां गांव निवासी ठेकेदार रवींद्र सिंह एवं उसकी पत्नी की हत्या कर दी.
आठ फरवरी 2009 को नक्सलियों ने श्यामपुर भटहां थाना क्षेत्र के लक्ष्मिनिया गांव में किसान उपेंद्र कुंवर की हत्या कर दी गयी, जबकि 18 फरवरी 2009 को डुमरी प्रखंड के रोहुआ पंचायत के मुखिया नीरज कुमार ‘मुकूल’ की हत्या कर दी. माओवादियों के दस्तों ने सात दिसंबर 2009 को छपड़ा गांव में हमला बोल कर राणा प्रताप सिंह समेत चार को मौत के नींद सुला दिया था.
21 मई 2010 को नक्सलियों ने रामवन गांव में धावा बोल कर सीया राम राय समेत पांच की हत्या कर दी थी. इस सामूहिक नरसंहार से पूरा जिला क्षेत्र कांप उठा. 29 अगस्त 2010 को नक्सलियों ने तरियानी के तत्कालीन बीडीओ मनोज कुमार सिंह का अपहरण कर लिया.15 सिंतबर 2010 के बाद नक्सलियों ने पुरनहिया के बसंतपट्टी बाजार पर दो बस को फूंक दिया, जबकि छह अप्रैल 2013 को पुरनहिया में मोबाइल टावर फूंक दी थी.

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