रिश्वत नहीं लेने के तमाम स्लोगन विफल

सीतामढ़ी : सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए सरकार अपने स्तर से पूरी कोशिश कर रही है. हर हथकंडा अपनाया जा रहा है,ताकि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगा कर इसे जीरो पर लाया जा सके. जिले में अब तक कई अधिकारी व कर्मी रिश्वत लेते निगरानी के हत्थे चढ़ चुके हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2015 2:12 AM
सीतामढ़ी : सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए सरकार अपने स्तर से पूरी कोशिश कर रही है. हर हथकंडा अपनाया जा रहा है,ताकि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगा कर इसे जीरो पर लाया जा सके. जिले में अब तक कई अधिकारी व कर्मी रिश्वत लेते निगरानी के हत्थे चढ़ चुके हैं.
बावजूद रिश्वत बिना शायद किसी का काम नहीं हो पा रहा है. बराबर यह कहा जाता है कि अमुक काम में अमुक कार्यालय में पैसा मांगा जा रहा है. पैसा नहीं देने पर काम नहीं करने अथवा काम में विलंब करने की बात कही जाती रही है. डीएम के करीब-करीब हर जनता दरबार में रिश्वत की मांग करने की एक-दो शिकायतें मिलती रही है. बहरहाल, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने जो भी स्लोगन दिया है, वह सरकारी कर्मियों पर बेअसर रह रहा है. यही कारण है कि हर दो-चार माह पर रिश्वत लेते कोई न कोई सरकारी कर्मी पकड़ा जा रहा है.
प्रेम कुमार बने पहले शिकार
नीतीश कुमार की सरकार में लोग निगरानी विभाग से पूरी तरह वाकिफ हुए. श्री कुमार ने हीं निगरानी विभाग को पूरी तरह सक्रिय किया. अब भी लोगों के जेहन में ताजा है कि कैसे पूर्व जेल अधीक्षक प्रेम कुमार निगरानी टीम कें हत्थे थे. यह बात वर्ष 2006 की है. कहा जाता है कि प्रेम कुमार जिला के पहला अधिकारी थे जो निगरानी के हाथों दबोचे गये थे. वे डुमरा के एक ठेकेदार से विपत्र भुगतान करने के एवज में रिश्वत ले रहे थे.
ताबड़तोड़ पकड़े गये रिश्वतखोर
उसके बाद जिले में ताबड़तोड़ रिश्वत लेने के आरोप में अधिकारी पकड़े चले गये. पकड़े गये अधिकारियों के नामों की एक सूची बन गयी. खास बात यह कि सीतामढ़ी व शिवहर जिले में सबसे अधिक पुलिस अधिकारी हीं रिश्वत लेते धराये थे. इस मामले में जिले का बथनाहा प्रखंड अव्वल रहा है. इस प्रखंड के सबसे अधिक सरकारी सेवक रिश्वत लेते दबोचे गये हैं.

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