राष्ट्र के लिए अहंकार का करे परित्याग

— नवाह परायण संकीर्तन में बोले शुकदेव दास जी महाराज– कहा, देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत कर सभी धर्मों का करे सम्मान– गुरु वशिष्ठ के कामधेनु गाय प्रसंग की चर्चा सुन भाव विभोर हुए श्रोतासीतामढ़ी : परम पूज्य ब्रह्म लीन तपस्वी श्री नारायण दास जी महाराज की पावन स्मृति में सोनबरसा प्रखंड के कन्हौली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2015 10:03 PM

— नवाह परायण संकीर्तन में बोले शुकदेव दास जी महाराज– कहा, देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत कर सभी धर्मों का करे सम्मान– गुरु वशिष्ठ के कामधेनु गाय प्रसंग की चर्चा सुन भाव विभोर हुए श्रोतासीतामढ़ी : परम पूज्य ब्रह्म लीन तपस्वी श्री नारायण दास जी महाराज की पावन स्मृति में सोनबरसा प्रखंड के कन्हौली राम जानकी मठ पर आयोजित श्री सीताराम नाम जप नवाह परायण संकीर्तन में गुरुवार को संत श्री शुकदेव दास जी महाराज के सरस वाणी में संगीत मयी रामकथा के भक्ति रस की धारा अविरल प्रवाह से सराबोर होता रहा. कथा के माध्यम से अपने ओजस्वी उद्बोधन में महाराज श्री ने राष्ट्र के नाम अपील करते हुए कहा आज राष्ट्र की एकता, अखंडता, राष्ट्रीयता और अस्मिता पर खतरा है. राष्ट्र की संप्रभुता तभी अक्षुण्ण रह सकती है, जब सभी मतालंबियो में आपसी प्रेम व भाईचारा का संचार हो. राष्ट्र के लिए अपने अहंकारों का परित्याग कर देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर सभी धर्मों का सम्मान हो, और ऐसा खतरा त्रेता युग में भी असुरों के उत्पात से त्रस्त होकर गुरु विश्वामित्र ने महसूस किया किया, जिसके निवारण के लिए महाराज दशरथ के राजभवन में पधारे हैं. द्वारपाल द्वारा सूचित किये जाने पर बाबा तुलसी की काव्य ज्योति का गायन करते हुए महाराज श्री ने गाया कि ‘मुनि आगमन सुना जब राजा, मिलन गययूलै विप्र समाजा’. गुरु वशिष्ठ के कामधेनु गाय प्रसंग की चर्चा करते हुए विश्वामित्र जी की तपस्या से संचित ऊर्जा के विकेंद्रीकरण से श्रोताओं को अवगत कराते हुए जन समुदाय को संतत्व, ब्रह्मत्व, वैशत्व और क्षत्रीयत्व की प्राप्ति के लिए सुगम मार्ग का बोध कराये.

Next Article

Exit mobile version