… नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
फोटो नंबर- 17 कलश में जल लेकर खड़ी महिलाएं पुपरी : अनुमंडल क्षेत्र में चैती नवरात्रा धूमधाम से मनाने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. जगह-जगह पूजा समितियों द्वारा मां दुर्गा समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित किया गया है. पूजा स्थलों पर शनिवार को कलश स्थापन के साथ हीं मां भगवती की पूजा […]
फोटो नंबर- 17 कलश में जल लेकर खड़ी महिलाएं पुपरी : अनुमंडल क्षेत्र में चैती नवरात्रा धूमधाम से मनाने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. जगह-जगह पूजा समितियों द्वारा मां दुर्गा समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित किया गया है. पूजा स्थलों पर शनिवार को कलश स्थापन के साथ हीं मां भगवती की पूजा अर्चना शुरू हो गयी. नगर क्षेत्र में अहले सुबह से हीं ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’ की गूंज सुनाई देना लगा. दोपहर के बाद से कई पूजा समिति की ओर से कुंवारी कन्यओं द्वारा कलश शोभायात्रा निकाली गयी तो कई परिवार की महिलाएं कलश में जल भर कर अपने घर में कलश स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू की. विद्वान पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच कुंवारी कन्याएं व महिलाएं नदी व तालाब से कलश में जल भर कर पूजा स्थल पर पहंुची और पूजा-अर्चना शुरू हो गयी. — घट स्थापना का विशेष महत्व केशोपुर गांव निवासी आचार्य शक्तिनाथ पाठक ने बताया कि आमतौर पर नवरात्र व्रत का शुभारंभ घट (कलश) स्थापना के साथ शुरू किया जाता है, जिसका विशेष महत्व है. घट प्राय: मिट्टी का बना होता है. तात्विक विचार से पृथ्वी तत्व के अधिपति शिव व जल तत्व के अधिष्ठाता गणपति हैं. शुद्ध जल से परिपूर्ण कलश पर दीप प्रज्वलित की जाती है. अग्नि तत्व की अधिष्ठात्री भवानी है. अर्थात कलश स्थापना के साथ देवी दुर्गा अपने पुत्र गणपति व पति शिव सहित विराजमान हो जाती है. तात्विक दृष्टि से कलश के ऊपर प्रज्वलित दीप ज्योति जगदंबा की प्रतीक हीं नहीं प्रतिनिधि भी है. इसीलिए नवरात्रा में अखंड ज्योति जलायी जाती है ताकि इस महापर्व में मां दुर्गा भगवान शिव व गणेश के साथ हर समय विराजमान रहे.